इस तरह का गड़बड़झाला
प्रार्थी ने बताया कि उसके खेत पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा स्वयं कर तत्कालीन पटवारी द्वारा फसल नष्ट की मिथ्या गिरदावरी बनाकर फसल बीमा कंपनी को भेजी गई। कंपनी की और पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर खेत की फसल बीमा राशि गणपतलाल व सिणगारी के खाते में पहुंचाई गई।
शत प्रतिशत खराबा का क्लेम उठाया
आरोपियों की ओर से गड़बड़ी कर फसल खराबे का शत प्रतिशत क्लेम किया गया और मिलीभगत से लगातार शत प्रतिशत फसल खराबा बताकर राशि बीमा कंपनी से उठाई। लगातार इस स्थिति को देखते हुए बीमा कंपनी के मैनेजर व उनके कर्मचारी खेत प्रार्थी के खेत पहुंचे तो गड़बड़ी उजागर हुई।
इस तरह पता चला गड़बड़ी का
बीमा कंपनी के मैनेजर व उनके कर्मचारी किसान के यहां पहुंचे। पूछताछ और पड़ताल के बाद कर्मचारी ने खेत में लगातार चार साल से शत प्रतिशत फसल खराबे का कारण पूछा। प्रार्थी का कहना था कि उसने तो फसल बोई तक नहीं है। इस पर बीमा कर्मचारी ने कंप्यूटर में खेत, खसरों की फसल बीमा करना व भुगतान दावों के अनुसार चार वर्ष में करीब 20 लाख रुपए फसल बीमा राशि प्रार्थी के खेत खसरा नंबर 168, 176 में होने की जानकारी सामने आई। यह क्लेम राशि गणपतलाल पुत्र दीपाराम व सिणगारी पत्नी गणपतलाल पुरोहित निवासी अणखोल के खातों में ट्रांसफर किए हुए।
एक माह से अधिक समय तक तो मामला दर्ज ही नहीं हुआ
प्रार्थी को गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद उसने झाब थाने में 15 अप्रेल 2024 को रिपोर्ट पेश की। मामले में न तो जांच की गई न ही मामला दर्ज किया गया। मामले में एसपी कार्यालय सांचौर को भी शिकायत पेश की गई। लेकिन मामले में ढि़लाई बरती गई। अंत में न्यायालय की शरण ली और जरिए इस्तगासे यह मामला दर्ज हुआ।
इनका कहना
तत्कालीन पटवारी समेत दो अन्य के खिलाफ बीमा क्लेम फर्जी तरीके से उठाने को लेकर प्रकरण दर्ज हुआ है। मामले में अनुसंधान किया जा रहा है। सभी पहलुओं की जांच की जा रही है, उचित कार्रवाई की जाएगी। कमलेश कुमार, थाना प्रभारी, झाब मेरे ऊपर लगाए गए आरोप निराधार है। जांच में मामला साफ हो जाएगा। गिरदावरी और बीमा पॉलिसी से भी हमारा लेना देना नहीं होता। क्रॉप कटिंग के आधार पर पटवार मंडल के किसानों को क्लेम मिलता है। दिनेश कुमार, तत्कालीन पटवारी