scriptSupreme Court: ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने मां, पत्नी और बेटी की हत्या के आरोपी को मृत्यदंड की दी थी सजा, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कर दिया बरी? | Supreme Court Acquits pune based Man Sentenced To Death For Alleged Murder Of Mother, Wife and 2 year old daughter | Patrika News
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Supreme Court: ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने मां, पत्नी और बेटी की हत्या के आरोपी को मृत्यदंड की दी थी सजा, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कर दिया बरी?

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट की सजा को पलट दिया। हत्या के आरोपी को बरी करते हुए ये तर्क दिया।

नई दिल्लीOct 18, 2024 / 12:49 pm

स्वतंत्र मिश्र

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मां, पत्नी और दो वर्षीय बेटी की हत्या के उस आरोपी को बरी कर दिया जिसे सैशन कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और हाईकोर्ट ने भी इसकी पुष्टि की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष घटनाओं की एक अखंड श्रृंखला को साबित करने में असमर्थ रहा। (Supreme Court Acquits Man Sentenced To Death) हत्या के आरोपी विश्वजीत कर्बा मसलकर को आईपीसी की धारा 302, 307 और 201 के तहत ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया जा चुका था। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। अपील में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस मामले को “दुर्लभतम में से दुर्लभतम” मानते हुए मृत्युदंड की पुष्टि की थी।

घटना को सिलसिलेवार साबित नहीं कर पाया अभियोजन पक्ष: SC

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा कि यह एक परिस्थितिजन्य साक्ष्य का मामला है और अभियोजन पक्ष घटनाओं को सिलसिलेवार साबित नहीं कर पाया इसलिए आरोपी विश्वजीत कर्बा मसलकर की अपील स्वीकार की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क पर मृत्युदंड की सजा कर दी खारिज

हाईकोर्ट ने सैशन कोर्ट की ओर से मसलकर को सुनाई मृत्युदंड की सजा की पुष्टि करते हुए कहा था कि परिवार को खत्म करके आरोपी ने समाज की बुनियादी नींव को तोड़ने की कोशिश की है। इस मामले ने अदालत की न्यायिक अंतरात्मा को झकझोर दिया इसलिए इसे दुर्लभतम मामले के रूप में माना जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मृत्युदंड की सजा के लिए दुर्लभतम मामले की जांच समाज की धारणा पर निर्भर करती है और दृष्टिकोण समाज केंद्रित होना चाहिए न कि जज केंद्रित।

क्या रहा पूरा मामला?

ट्रायल कोर्ट के बाद जब हाईकोर्ट ने भी कर्बा मसलकर के​ खिलाफ मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। कर्बा मसलकर पुणे की एक कंपनी में काम करता था। उसने पुलिस को यह बताया था कि उसके घर में चोरी हुई और उसी चोरी की दौरान उसकी मां, पत्नी और दो वर्षीय बेटी की मौत हो गई। इस घटना में उसने अपने पड़ोसी के घायल होने की बात भी पुलिस को बताई थी। थाने में इस मामले की शिकायत आईपीसी की धारा 302 और 397 के तहत दर्ज कर ली गई। पुलिस ने तहकीकात के दौरान यह पाया कि घर में कुछ भी चोरी नहीं हुआ और ना ही किसी के जबरन प्रवेश करने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस के शक की सुई पूरी तरह से मसलकर पर आ टिकी। पुलिस को भी शक भला क्यों ना हो? पुलिस को अपने जांच के दौरान पता चला कि मसलकर के एक अन्य महिला से विवाहेतर संबंध भी हैं। पुलिस के इस तहकीकात के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी पाया और मृत्युदंड की सजा सुना दी। मसलकर ने हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की और वहां भी सजा बरकरार रखी गई। अब उसके पास सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने के सिवाय कोई और चारा नहीं बचा था। मसलकर की किस्मत देखिए कि सुप्रीम कोर्ट ने उसके खिलाफ मृत्युदंड की सजा को खारिज कर उसे बरी कर दिया।

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