राजस्थान पत्रिका ने चिकित्सा मंत्री से इस प्रकरण पर सवाल किया तो उनका कहना था कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज के किसी भी डॉक्टर ने सात दिन तक उन्हें इस प्रकरण की जानकारी नहीं दी। जबकि राज्य में पिछले करीब दो महीने से किडनी प्रत्यारोपण में फर्जी एनओसी का प्रकरण चल रहा है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है, इसकी पूरी जांच करवाएंगे। नूआं निवासी 54 वर्षीय मरीज बानो को परिजन जयपुर एसएमएस से लेकर नुआं आ गए। जहां पर मंगलवार को तबीयत खराब होने पर मरीज को परिजन पीबीएम अस्पताल बीकानेर लेकर चले गए।
एक किडनी खराब, दूसरी निकाल ली, फिर भी डिस्चार्ज महिला मरीज की एक किडनी खराब है, जिसे निकाला जाना था। लेकिन धनकड़ अस्पताल के डॉक्टरों ने सही किडनी को निकाल लिया। इसके बावजूद मरीज को 25 मई को उसके आग्रह पर बिना सरकार को जानकारी दिए ही घर भेज दिया गया। इस सवाल पर मंत्री ने कहा कि उनके पास जानकारी ही नहीं थी तो वे क्या कर सकते थे। पूरे मामले में विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कहा है कि डॉक्टरों को इस तरह के प्रकरणों की जानकारी तत्काल देने के निर्देश दिए हैं। मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ.दीपक माहेश्वरी ने कहा कि मामला सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का है, प्रकरण की जानकारी उनके पास ही थी। उन्हें महिला के डिस्चार्ज होने के बाद जानकारी मिली। वहीं, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के अधीक्षक डॉ.विनय मल्होत्रा का फोन स्विच ऑफ आता रहा।