कैब यूनियन ने राइड-हेलिंग आय पर जीएसटी छूट की मांग की
यूनियन का मानना है कि जीएसटी लागू होने से ड्राइवरों की वित्तीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यात्रियों के लिए किराए बढ़ जाएंगे।
जयपुर. जयपुर कैब यूनियन ने राजस्थान सरकार से अपील की है कि वह केंद्र सरकार से सब्सक्रिप्शन-आधारित राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म्स को वस्तु और सेवा कर के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश करें। यूनियन का मानना है कि जीएसटी लागू होने से ड्राइवरों की वित्तीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यात्रियों के लिए किराए बढ़ जाएंगे।
कैब यूनियन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने बताया कि जीएसटी लागू होने से ड्राइवरों की वित्तीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यात्रियों के लिए किराए बढ़ जाएंगे। सब्सक्रिप्शन मॉडल पर काम कर रहे ड्राइवर, जो कमीशन देने के बजाय एक तय शुल्क चुकाते हैं, अपनी आय को अधिक स्थिर और स्वतंत्र रूप से प्रबंधित कर पाते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जीएसटी लागू होने से खर्चे बढ़ेंगे, जिससे ड्राइवर फिर से अस्थिर और अनौपचारिक रोजगार की ओर लौटने को मजबूर हो जाएंगे। यह गिग अर्थव्यवस्था में हुई प्रगति को पीछे धकेल देगा।
ड्राइवरों की आजीविका पर प्रभाव: - जीएसटी लागू होने से प्लेटफॉर्म सब्सक्रिप्शन शुल्क बढ़ेगा, जिससे ड्राइवरों की शुद्ध आय कम हो जाएगी।
- पहले से ही वित्तीय संकट झेल रहे ड्राइवरों के लिए काम जारी रखना मुश्किल हो सकता है।
सिस्टम की समस्याएं: - यूनियन ने मौजूदा राइड-हेलिंग सिस्टम में खामियों को रेखांकित किया, जैसे कि अनाधिकृत आईडी का उपयोग और विवाद या उत्पीड़न के मामलों में ड्राइवरों को समर्थन की कमी। यूनियन ने इन समस्याओं के समाधान के लिए कड़े नियामक उपायों की मांग की।
यूनियन की सिफारिशें: - सरकार को एक सरकारी राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म विकसित करना चाहिए ताकि पारदर्शिता, जवाबदेही और आय का उचित बंटवारा सुनिश्चित किया जा सके।
- राइड-हेलिंग आय को व्यक्तिगत आय माना जाना चाहिए, जो पहले से ही इनकम टैक्स के दायरे में है, और इसे जीएसटी से मुक्त रखा जाना चाहिए।
- गिग वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए, जैसा कि अन्य राज्यों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
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