Illegal colony: शहर में धड़ाधड़ अंदाज में अवैध कॉलोनियां बसती जा रही हैं। आम लोग झांसे में आकर फंसते जा रहे हैं। फिर भी नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से लेकर जिला प्रशासन के जिमेदारों को यह सब मामूली लगता रहा। मामले सामने आने लगे। चारों तरफ से दबाव बढ़ा। अवैध कॉलोनी बसाने वाले कॉलोनाइजर पर कार्रवाई की बारी आई, तब भी सिस्टम ने उनपर मेहरबानी ही दिखाई। उन्हें बचने का रास्ता देते हुए विकास शुल्क महज 14 रुपए से लेकर 120 रुपए वर्गफीट निर्धारित कर दिया।
विकास शुल्क देखकर कोई भी सवाल उठा सकता है कि आखिर मूलभूत सुविधाओं को मोहताज कॉलोनियों में इतनी कम राशि से सड़क, बिजली, पानी, उद्यान समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे विकसित होगा? यानी कॉलोनियों के नियमितिकरण पर होने वाले खर्च का पूरा भार सरकारी खजाने पर आएगा। जबकि, अवैध कॉलोनी बसाने वाले कॉलोनाइजर्स नगर निगम को छुट-पुट राशि का भुगतान कर जिमेदारी से मुक्त हो जाएंगे। जबकि, वहां रहने वाले सुविधाओं की कमी से जूझते रहेंगे। इस तरह दिया बचने का रास्ता
Illegal colony: विकास शुल्क 14 रुपए, 30 रुपए की राशि निर्धारित
बड़ी संख्या में अवैध कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनके कॉलोनाइजर के लिए विकास शुल्क 14 रुपए, 30 रुपए की राशि निर्धारित की गई है। यदि 14 रुपए के मान से हजार वर्गफीट के लिए विकास शुल्क की गणना की जाए, तो कॉलोनाइजर को महज 140 रुपए का भुगतान करना होगा। इतनी कम राशि चुकाना लाखों कमाने वालों के लिए हंसी खेल रहेगा।
Illegal colony: गठित हो एसटीएफ
जानकारों का मानना है कि अवैध कॉलोनियों के मामले की जांच के लिए अलग से एसटीएफ गठित की जानी चाहिए। ये टीम मामले की बारीकी से जांच करे। ताकि, कम समय में जांच रिपोर्ट सामने आ सके। उसके आधार पर अवैध कॉलोनी बसाने वालों पर शिकंजा कसा जाए। खेतों की जमीन पर अवैध कॉलोनी बसाकर हजारों लोगों से करोड़ों कमाने वाले कॉलोनाइजरों को सबक सिखाने उनसे उद्यान मद से लेकर अन्य हर्जाना वसूला जा सके। इसके साथ ही उन्हें नियमानुसार निर्धारित सजा भी मिले।
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