रिपोर्ट कहती है वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से भारत में हर घंटे औसतन 240 लोगों की जान जाती है। जबकि 20 बच्चों की जान जाती है।
-दुनिया में होने वाली कुल मौतों में 12 फीसदी मौतें पीएम 2.5 (हवा में घुले महीन कण), ओजोन (ओ3) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) जैसे प्रदूषकों के कारण होती है।
-वायु प्रदूषण से होने वाली वैश्विक मौतों में 78 लाख (90 फीसदी) से ज्यादा का कारण पीएम 2.5 वायु प्रदूषण है।
ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 99 फीसदी से ज्यादा लोग खराब हवा में सांस ले रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीएम 2.5 को लेकर जो मानक बनाया है, उससे भारत की हवा 5 गुना ज्यादा खराब है।
ऐसे सूक्ष्म कण, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम है, फेफड़ों में रह जाते हैं और रक्तप्रवाह के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे कई अंग प्रणालियां प्रभावित होती हैं और हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, फेफड़ों का कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गैर-संचारी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।