लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने चीन में खोजे गए जीवाश्मों के साथ इन अवशेषों का विश्लेषण किया। खोपड़ी की लंबाई, दाढ़ के दांत की ऊंचाई के साथ खोपड़ी और रीढ़ को जोडऩे वाली हड्डी की संरचना की चौड़ाई के आधार पर जानवर के वजन का अनुमान लगाया गया। इस प्रक्रिया को स्तनधारियों में शरीर के द्रव्यमान का सटीक पूर्वानुमान माना जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्राचीन चीते का वजन संभवत: 290 पाउंड (130 किलोग्राम) से ज्यादा था। यह 420 पाउंड (190 किलोग्राम) तक बढ़ सकता था। यह आधुनिक अफ्रीकी चीतों के मुकाबले काफी भारी था, जिनका वजन 75 से 140 पाउंड (34 से 64 किलोग्राम) होता है।
2 जबड़ों के जीवाश्मों का किया विश्लेषण शोध के दौरान दो जबड़ों के जीवाश्मों का विश्लेषण किया गया। ये उस खोपड़ी का हिस्सा थे, जो 1930 में बीजिंग में झोउकौडियन गुफा से बरामद की गई थी। इसे पहले प्रागैतिहासिक लकड़बग्घे की खोपड़ी माना गया था। ‘एसिनोनिक्स प्लीस्टोकेनिक्स’ प्रजाति करीब पांच लाख साल पहले विलुप्त हो गई थी।
कैसे हुए विलुप्त चीनी विज्ञान अकादमी के जीवाश्म विज्ञानी किगाओ जियांगज़ू का कहना है कि विशालकाय चीतों की प्रजाति संभवत: मध्य-प्लीस्टोसीन संक्रमण के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हुई। इनके दांतों की व्यवस्था और नाक के पीछे की हड्डीदार जगह आधुनिक अफ्रीकी चीतों से मेल खाती है।