कुचिंडा मिर्च पश्चिमी ओडिशा जिले संबलपुर में उगाई जाती है, जबकि लोकप्रिय सन्नम मिर्च आंध्र प्रदेश के गुंटूर क्षेत्र में उगाई जाती है। दरअसल कुछ दिन पहले हीं ओडिशा कि कुंचिंडा मिर्च को GI टैग देने की पहल शुरु की गई है। इसके तहत ओडिशा ग्रामीण विकास और विपणन सोसायटी (ORMAS) द्वारा कुचिंडा मिर्च के कुछ नमूने स्पाइसेस बोर्ड से संबद्ध SGS लैब में टेस्ट के लिए भेजा गया था। SGS लैब की रिपोर्ट के अनुसार, कुचिंडा मिर्च के तीखेपन और उसके अन्य गुण के मामले में देश में GI टैग वाले मिर्च की वेरायटी की तुलना में उनसे ज्यादा बेहतर बताया गया।
स्पाइसेज लैब ने पाया कि ओडिशा की कुचिंडा मिर्च में 41,000 की स्कोविल हीट यूनिट के साथ इसकी कैप्साइसिन की मात्रा 0.26% थी। जबकि आंध्र प्रदेश के गुंटूर क्षेत्र में उगाई जाने वाली सन्नम मिर्च में कैप्साइसिन की मात्रा 0.226% है, जिसकी स्कोविल हीट यूनिट 35,000 से 40,000 के बीच थी। कैप्साइसिन की मात्रा के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि मिर्च कितनी तीखी है।
बता दें, भारत मिर्च का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ उपभोक्ता और निर्यातक भी है। वहीं आंध्र प्रदेश मिर्च उत्पादन में राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है, जो कुल फसल का 37% से अधिक है। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के अनुसार 2021-22 में आंध्र प्रदेश ने सात लाख टन मिर्च का उत्पादन किया, जबकि तेलंगाना 4.33 लाख टन के साथ दूसरे स्थान पर रहा। इसी साल में ओडिशा ने लगभग 69,000 टन उत्पादन किया।
वहीं, ओडिशा ग्रामीण विपणन सोसायटी (ORMAS) के उप निदेशक श्रीमंत होता ने कहा कि मसाला बोर्ड की प्रयोगशाला रिपोर्ट ने साबित कर दिया है कि ओडिशा की कुचिंडा मिर्च आंध्र प्रदेश के गुंटूर मिर्च की तुलना में ज्यादा तीखा होता है। श्रीमंत होता के अनुसार, “कुचिंडा मिर्च बहुत तीखी होती है और स्थानीय किसानों द्वारा नकदी फसल के रूप में इसकी खेती की जाती है। लैब टेस्ट ने साबित कर दिया है कि कुचिंडा मिर्च के तीखेपन और अन्य गुण अन्य मिर्चों की तुलना में कहीं बेहतर हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि इस मिर्च ने पिछले कुछ सालों में गुंटूर मिर्च की तरह अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इस मिर्च की खरीदारी के लिए देश भर के व्यापारी संबलपुर आते हैं। बस अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक ले जाने के लिए इसके प्रचार और प्रसार में थोड़ी कमी है।” ओडिशा के कृषि अधिकारियों के अनुसार स्पाइस बोर्ड की प्रयोगशाला की रिपोर्ट अधिक किसानों को फसल उगाने के लिए प्रेरित करेगी। कुचिंडा में किसानों द्वारा उत्पादित मिर्च को लंबे समय से राज्य सरकार के संरक्षण और विपणन सुविधाओं की कमी के कारण गुणवत्ता के बावजूद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में असली पहचान नहीं मिल सकी है। सिंचाई सुविधा से वंचित क्षेत्र में किसानों द्वारा नकदी फसल के रूप में उगाई जाने वाली कुचिंडा मिर्च की मांग काफी लंबे समय से पड़ोसी राज्यों में बनी हुई है।
SGS रिपोर्ट के मुताबिक कुचिंडा मिर्च को GI टैग मिलने की उम्मीद दिखाई दे रही है। जिसे ‘बामरा मिर्च’ के नाम से जाना जाता है, और इसे अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को बेच सकता है। कुचिंडा मिर्च को GI टैग मिल जाने से यहां के किसानों को लाभ होगा साथ ही कुचिंडा मिर्च को एक अलग पहचान मिलेगी। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और किसान इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।