नियमों के तहत होगी कार्रवाई
केंद्रीय सिविल सेवा (सीसीएस) पेंशन नियम, 1972 के नियम 48 और मूल नियम 56 (जे) के प्रावधानों के तहत सरकार को सत्यनिष्ठा की कमी और खराब प्रदर्शन के आधार पर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त करने का पूर्ण अधिकार है। नियमों के तहत सरकारी कर्मचारियों के कामकाज की समय-समय पर समीक्षा के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं।
बैठक में पीएम ने क्या कहा
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि मंत्रालयों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को जनता के जीवन का आसान बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। शिकायतों पर त्वरित एक्शन होना चाहिए। फाइलों को लटकाने, अटकाने की प्रवृत्ति वाले स्टाफ के खिलाफ एक्शन जरूरी है। ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित कर उन्हें सेवा से बाहर करने की जरूरत है, जिनका आचरण सेवा नियमावली के विपरीत हो।
नोटिस और 3 महीने के वेतन पर छंटनी
नियमों के तहत जबरन रिटायर होने वाले स्टाफ को नोटिस और अधिकतम तीन महीने का वेतन देकर सेवा से हटाया जाता है। आमतौर पर 30 साल की सेवा पूरी कर चुके और ज्यादातर 55 वर्ष पार कर चुके अधिकारी-कर्मचारियों के कार्य की समीक्षा के आधार पर इस तरह के निर्णय होते हैं। हालांकि, कई मामलों में अधिकारी-कर्मचारी कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं।
500 स्टाफ पर हो चुका है एक्शन
मोदी सरकार पिछले 10 साल में भ्रष्ट और कामचोर पाए गए 500 अधिकारियों और कर्मचारियों को रिटायर कर चुकी है। वहीं पिछले वर्ष लोकसभा में दिए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया था कि वर्ष 2020-2023 के दौरान 122 अधिकारियों को नियम 56(जे) के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। उन्होंने बताया था कि एफआर 56(जे) के तहत स्टाफ की कार्यकुशलता की समीक्षा प्रक्रिया का उद्देश्य प्रशासनिक तंत्र को पारदर्शी और सुदृढ़ बनाना है।