ललित रंजन पाठक ने कहा कि यह झारखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो केवल राजनीतिक और प्रशासनिक समर्थन के कारण ही संभव हो सका है, जो कि कार्यक्रम को लागू करने में ‘तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ’ को मिला है।
बताते चलें, भारत सरकार ने मई 2003 को राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया गया, जिसे (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) ‘सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम’ नाम दिया गया।
तो वहीं ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) -1 की रिपोर्ट के अनुसार, NTCP 2012 में झारखंड में शुरू किया गया था, जब राज्य में तंबाकू प्रसार दर 51.1 प्रतिशत थी, जिसमें से 48 प्रतिशत धूम्रपान रहित उपयोगकर्ता थे। 2018 में प्रकाशित हुई GATS-2 की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या घटकर 38.9 प्रतिशत हो गई, जिनमें से 35.4 प्रतिशत धूम्रपान रहित उपयोगकर्ता थे।
बता दें, तंबाकू का सेवन, बहुत सारे पुराने रोगों, कैंसर, फेफड़ों की बीमारियों, और हृदय रोगों सहित स्वास्थ्यगत बीमारियों के मुख्य जोखिम के कारकों में से एक है। भारत तम्बाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। देश में तम्बाकू का सेवन सिगरेट, बीड़ी और सिगार तथा अधिकत्तर धूम्रमुक्त रूप में किया जाता हैं। इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार अलग-अलग कार्यक्रम और तरीकों से इसे कम करने की कोशिश में लगी हुई है।
नोडल अधिकारी ने बताया कि इसे और नीचे ले जाने के लिए झारखंड ने 2018 से 2022 के बीच कई उपायों की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, WHO और समर्पित राज्य और जिला स्वास्थ्य टीमों ने झारखंड में तंबाकू प्रसार दर को कम करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।