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नई दिल्ली

अस्थमा-सीओपीडी मरीजों के लिए असरदार इलाज

लंदन. अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत की खबर है। लंदन के वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसा कारगर इंजेक्शन खोजने का दावा किया है, जो अब तक दी जाने वाली स्टेरॉयड की गोलियों से न सिर्फ ज्यादा प्रभावी है, बल्कि आगे इलाज की जरूरत […]

नई दिल्लीNov 29, 2024 / 01:19 am

ANUJ SHARMA

लंदन. अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत की खबर है। लंदन के वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसा कारगर इंजेक्शन खोजने का दावा किया है, जो अब तक दी जाने वाली स्टेरॉयड की गोलियों से न सिर्फ ज्यादा प्रभावी है, बल्कि आगे इलाज की जरूरत को 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है। अस्थमा-सीओपीडी मरीजों के लिए विशेषज्ञ इसे ‘गेमचेंजर’ मान रहे हैं। द लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक शोध के दौरान अस्थमा-सीओपीडी मरीजों को बेनरालिजुमैब नाम का इंजेक्शन देने पर नतीजे काफी आशाजनक रहे। इंजेक्शन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के तौर पर काम करता है। यह इओसिनोफिल्स नाम की वाइट ब्लड सेल्स को लक्षित करता है, जिससे फेफड़ों में सूजन कम करने में मदद मिलती है। अस्थमा-सीओपीडी मरीजों में फेफड़ों में सूजन के कारण ही गंभीर जटिलताएं पनपने का जोखिम रहता है। मरीजों के तीन समूहों में से एक को बेनरालिजुमैब इंजेक्शन और डमी गोलियां दी गईं। दूसरे समूह को स्टैंडर्ड केयर (पांच दिन प्रेडनिसोलोन 30 मिलीग्राम) और तीसरे को स्टैंडर्ड केयर के साथ बेनरालिजुमैब इंजेक्शन दिया गया। शोधकर्ताओं ने 28 दिन बाद पाया कि बेनरालिजुमैब इंजेक्शन लेने वालों में खांसी, घरघराहट, सांस फूलना जैसे लक्षणों में काफी सुधार हुआ।
हर साल दुनियाभर में होती हैं लाखों मौतें

दुनियाभर में हर साल अस्थमा से 4.50 लाख और सीओपीडी से 3.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि 2030 तक सीओपीडी वैश्विक स्तर पर मौत का तीसरा प्रमुख कारण बन सकता है। सांस संबंधी बीमारियां सभी उम्र के लोगों में देखी जा रही हैं।

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