अस्पताल बना विवादो का आखाड़ा,उपचार को लेकर फिर हंगामा
दस करोड़ का
अस्पताल में मरीजों को बेहतर उपचार मिले यह सभी चाहते है लेकिन बिना
पर्याप्त डाक्टर यह संभव नही है। उपचार नही मिलने के आरोप लगाते हुए शनिवार
को मरीज के अटेंडरों ने हंगामा किया तो प्रबंधन ने आरोप नकारते हुए कहा कि
कर्मचारियों के साथ लोग बदसलूकी करते है अब कौन सही है यह बड़ा सवाल है
इसका हल नीति निर्धारको को तय करना है लेकिन अस्पताल का बदहाली पर लोग खुश
नही है इसमें बेहतर सुधार हो यह सबकी सोच है।
पिपरिया
सरकारी अस्पताल में शनिवार सुबह मरीज के अटेंडरों और स्टॉफ के बीच उपचार को लेकर बहस हंगामा,गालीगलौज हो गई। सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंच दोनो पक्षों के बयान और आवेदन लेकर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
अंबेडकर वार्ड निवासी सांस की बीमारी से पीडि़त विक्की पिता लक्ष्छीराम बालमीकि को परिजन रात्रि तीसरे पहल अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां उन्हें डियूटी डॉक्टर नही मिला। नर्स ने फोन पर एडवाइज लेकर मरीज को जरुरी उपचार दिया। सुबह मरीज को सांस लेने में तकलीफ बढ़ी तो परिजनों ने डॉक्टर को तलाशा लेकिन डॉक्टर नही मिलने पर हंगामा शुरु कर दिया। कुछ देर बाद डियूटी डॉक्टर सुनील नागर ने मरीज को चैक करने के बाद आवश्यक उपचार दिया।
डॉ. नागर के अनुसार परिजन मरीज को रैफर करने की जिद कर रहे थे जबकि मरीज की स्थिति रैफर लायक नही थी इसी बात पर तीखी बहस करने लगे। मरीज के अटेंडरों का आरोप है कि गंभीर हालत में मरीज को लेकर रात में पहुंचे घंटो डॉक्टर उसे देखने तक नही आए इसकी शिकायत करों तो अभद्रता का आरोप स्टॉफ लगा रहा है।
सूचना पर स्टेशन रोड टीआई शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने मौके पर पहुंच अस्पताल स्टॉफ और मरीज के अटेंडर के बयान लिए एवं लिखित आवेदन लेकर जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। पूरे मामले में बीएमओ डॉ.एके अग्रवाल का कहना था डॉक्टरों की कमी है चौबीस घंटे डॉक्टर कैसे डियूटी करे। रात्रि में डॉ.गुप्ता की डियूटी थी वह रात 12 बजे गए थे फोन पर नर्स को मरीज आवश्यक उपचार देने का परामर्श दिया था सुबह मरीज के परिजनों ने स्टॉफ के साथ अभद्रता गालीगलौज शुरु कर दी स्टॉफ का आवेदन कार्रवाई के लिए पुलिस थाने अग्रेषित किया है।
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