इन्होंने पहले भी पिता बशीर अहमद मेव की याद में कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन का निर्माण भी करवाया था। बता दें मुनिश्री शांतिसागर का गुरुवार देररात देव लोकगमन हो गया। शुक्रवार सुबह अंत्येष्टि संस्कार पूर्ण किया जाना था, लेकिन दिशा शूल के मुताबिक कस्बे के दक्षिण-पश्चिम में समाधि के लिए नीमच-सिंगोली सड़क मार्ग पर गुड्डू भाई की जमीन को उचित माना।
लाखों रुपए का ऑफर लेकर जैन समुदाय अशरफ मेव के घर पहुंचा। रात ढाई बजे थे। उन्हें उठाया और संत की समाधि के लिए मुंहमांगे दाम पर भूमि में से हिस्से की मांग की। इस पर मेव ने तुरंत ही कह दिया अगर अल्लाह का हुक्म है कि एक जैन संत की समाधि मेरी जमीन पर ही बने तो फिर धन कोई मायने नहीं रखता।
वे उसी समय जैन समुदाय के लोगों के साथ एक किलोमीटर दूर मेघ निवास राजस्थान स्थित नायरा पेट्रोल पंप के सामने जमीन पर गए तथा कहा जो जगह पसंद है ले लें। जैन समुदाय के लोगों ने मुख्य सड़क मार्ग से लगी भूमि को चुना। शुक्रवार को डोल निकाल कर जैन संत को पंचतत्व में विलीन किया गया।
जैसे ही लोगों को यह जानकारी मिली लोगों ने मेव को फोन लगाकर दो समुदायों के बीच सौहार्द की मिशाल कायम करने के लिए धन्यवाद देना शुरू कर दिया। इस कदम की सराहना के लिए मप्र सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र व दिल्ली से फोन आ चुके हैं। शनिवार को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मेव को फोन लगाकर धन्यवाद दिया।