मध्यप्रदेश के नीमच जिले में मनासा नामक कस्बा है, यहां सालों पहले यूपी से देवेंद्र चौधरी का परिवार आया था, उन्होंने यहां पर पानीपुरी बेचकर अपने जीवन की शुरूआत की, कड़ी मेहनत और सच्ची लगन के साथ काम करते हुए उन्होंने हर मुश्किलों का सामना किया, कोरोना काल में जब धंधा बंद सा हो गया था, उस समय उन्होंने लोगों से कर्ज लेकर घर चलाया था, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज उनका बेटा जब पायलट बन गया है, तो उन्हें अपने काम पर फर्क महसूस होता है।
देवेंद्र चौधरी मनासा में स्थित धर्मशाला के समीप पानीपुरी का ठेला लगाते हैं, उनके बेटे रविकांत चौधरी का सेलेक्शन इंडियन एयरफोर्स में पायलट के लिए हो गया है। उनकी इस उपलब्धि से पूरे प्रदेशवासियों में खुशी है,
तो वहीं युवक भी समय-समय पर अपने पिता का साथ देने ठेले पर जाता था, लेकिन बावजूद इसके युवा ने अपना हौंसला टूटने नहीं दिया, और लगातार अपने सपने के लिए मेहनत की, जहां 4 साल की कड़ी मेहनत के बाद रविकांत नामक इस युवक की मेहनत साकार हुई, और आखिरकार रविकांत का चयन भारतीय वायु सेना में बतौर पायलट के लिए हो गया।
कभी नीमच जिले के मनासा में द्वारकापुरी धर्मशाला के सामने पानी पुरी का ठेला लगाने वाले देवेंद्र चौधरी का बेटा रविकांत पायलट बन गया। रविकांत ने पहली ही बार में एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट क्लियर कर लिया, रविकांत ने बताया कि नीमच में सीआरपीएफ होने के कारण उनके मन में शुरू से ही देश सेवा का जज्बा था, इसलिए उन्होंने एयरफोर्स को चुना और उसी रास्ते पर आगे बढ़ते हुए तैयारी शुरू कर दी थी।
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पिता के साथ बेचते थे पानीपुरी
रविकांत फ्री समय में या जब भी पिता कहीं जाते थे, तब पानी पुरी के ठेले पर आकर लोगों को पानी पुरी खिलाते थे, वे इस काम में पिता की मदद करते थे, इस प्रकार आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद भी पिता देवेंद्र ने अपने बेटे के लिए हर संभव प्रयास किया, वहीं बेटे ने भी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई कर एयरफोर्स में पायलट बनकर प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है। रविकांत ने बताया कि उन्होंने एयरफोर्स में जाने के लिए 10 वीं कक्षा से ही मन बना लिया था, 12 वीं के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षाएं दी, जिसमें उन्हें करीब चार साल मेहनत करने के बाद सफलता हाथ लगी है।
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