रेलवे ने दिया ये जवाब
रेलवे ने यात्रियों को याद दिलाया कि वैध टिकट के बिना यात्रा करना “सख्ती से प्रतिबंधित” है और दंडनीय अपराध है। बयान में कहा गया है, “महाकुंभ मेले या किसी अन्य अवसर के दौरान मुफ्त यात्रा का कोई प्रावधान नहीं है।” उन्होंने लोगों को यह भी बताया कि मेले के दौरान यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। रेलवे के बयान में कहा गया है, “यात्रियों की संभावित आमद को प्रबंधित करने के लिए विशेष होल्डिंग एरिया, अतिरिक्त टिकट काउंटर और अन्य आवश्यक सुविधाओं की स्थापना सहित पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है।” उन्होंने कहा, “भारतीय रेलवे महाकुंभ मेले के दौरान यात्रियों के लिए निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।” इस बीच, उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी ने घोषणा की कि भारतीय रेलवे प्रयागराज में 21 लेवल-क्रॉसिंग गेटों को समाप्त कर रहा है ताकि यातायात की आवाजाही सुचारू हो सके। बुनियादी ढांचे में बड़े बदलाव के तहत लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से 21 लेवल-क्रॉसिंग गेटों को समाप्त किया जा रहा है। त्रिपाठी ने कहा, “लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से 21 एलसी (लेवल-क्रॉसिंग) गेट तैयार किए जा रहे हैं। इनमें से 15 गेट तैयार हो चुके हैं और बाकी भी इस दिसंबर में तैयार हो जाएंगे।”
घुड़सवार पुलिस किए गए तैनात
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 के महाकुंभ से पहले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए भी विशेष व्यवस्था की है। प्रयागराज में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी बाम ब्लड और इंग्लैंड की थ्रो नस्ल के घोड़ों के साथ-साथ ‘देसी’ भारतीय नस्ल के घोड़ों को भी लाया जा रहा है। ऐसा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किया जा रहा है, क्योंकि कुंभ के दौरान भीड़ और परिस्थितियों को नियंत्रित करने में घुड़सवार पुलिस कारगर साबित होगी। कुंभ मेला घुड़सवार पुलिस के इंस्पेक्टर प्रेम बाबू ने बताया, “आगामी कुंभ मेले में नागरिकों की सुरक्षा के लिए 130 घोड़े तैनात किए जाएंगे। अभी तक 70 घोड़े यहां आ चुके हैं। इनमें से चार अमेरिकी बाम ब्लड घोड़े कुंभ मेले के लिए लाए गए हैं।” पुलिस अधिकारी ने आगे बताया कि भीड़भाड़ वाली जगहों पर तैनाती के लिए इन घोड़ों को छह महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। बाबू ने कहा, “मेला और ट्रैफिक कंट्रोल जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर तैनात किए जाने के लिए इन घोड़ों को छह महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। विदेशी नस्ल के घोड़े लंबी दूरी तक देख सकते हैं और दिमाग के तेज होते हैं। इससे सवार को इलाके की निगरानी करने में भी मदद मिलती है।”