यह बाईड्रॉप पावर परियोजना है, जिसकी स्थापित क्षमता 2000 मेगावाट है। प्रत्येक इकाई की क्षमता 250 मेगावाट है। परियोजना के अंतर्गत 8 इकाइयां स्थापित की जाएगी। जिसमें 2000 मेगावाट बिजली आवंटन किया जाएगा। इसके अंतर्गत असम में 533 मेगावाट, अरुणाचल प्रदेश 274, अन्य उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में 198, उत्तरी राज्य हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, चंडीगढ़ में 387, पश्चिमी राज्य गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गोवा में 613 मेगावाट बिजली का आवंटन किया जाएगा। इसकी अनूठी विशेषता यह है कि इसमें 8 लेन के प्रेशर शाफ्ट हैं।
हरी-भरी वादियां.. “मरे हुए पहाड़”
यूं तो भारत के अधिकांश राज्य किसी ना किसी रूप में प्राकृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। लेकिन उत्तर पूर्व दिशा में अरुणाचल प्रदेश ऐसा राज्य है। जहां की प्राकृतिक खूबसूरती यहां कदम रखते ही आकर्षित करती है। दो साल पहले ही अस्तित्व में आए यहां के डोनी पोलो एयरपोर्ट पहुंचते ही यह स्पष्ट हो गया कि इस खूबसूरत प्रदेश को आजादी के बाद विकास की कदमताल में अन्य राज्यों से पीछे ही रहना पड़ा।
एयरपोर्ट से टैक्सी में सवार हुए तो सड़क के किनारे पहाड़ों के पत्थर के बजाय मिट्टी के होने का अहसास हुआ। गुवाहाटी निवासी टैक्सी ड्राइवर कैलास दास ने बातचीत में बताया कि इन्हें मरे हुए पहाड़ कह सकते हैं। जो पत्थर के बजाय अब मिट्टी का रूप ले चुके हैं। इसका तात्पर्य पूछने पर उसने बताया कि इसे बोलचाल की भाषा में कहा जाता है। ये दिखते पत्थर जैसे हैं। अरूणाचल प्रदेश 25 जिलों वाला राज्य हैं और तीन देशों चीन, बर्मा और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुडा हुआ है।
लेकिन यह प्रदेश देश के हवाई सेवा नेटवर्क से आजादी के इतने साल बाद दो साल पहले 2022 में ही जुड पाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां डोनी पाॅली एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। वर्ष 2019 में उन्होंने इसका शिलान्यास भी किया था। एयरपोर्ट अभी छोटा है, लेकिन इसके विस्तार का काम चल रहा है। फिलहाल यह कोलकाता और दिल्ली से ही मुख्य रूप से जुडा हुआ है।