पहले भी हुआ है टकराव
बता दें कि ये पहला मामला नहीं है जब यहां के राज्यपाल और सरकार आमने-सामने हो। इससे पहले भी राज्यपाल और सरकार में टकराव तब देखा गया था, जब राज्य सरकार ने राज्यपाल को तेलंगाना सचिवालय के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया था। इसको लेकर हाल ही में राज्यपाल ने खुलेआम नाराजगी भी जताई थी। जिसका हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के के चंद्रशेखर राव ने हैदराबाद में उद्घाटन किया था।
सुंदरराजन ने केसीआर सरकार को लगाई थी फटकार
उद्घाटन में निमंत्रित नहीं किये जाने के बाद सुंदरराजन ने चेन्नई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि उन्हें राज्य के इस महत्वपूर्ण समारोह में निमंत्रण भी नहीं दिया गया था, क्योंकि सीएम राज्य में शासन संभालते हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब देश में समूचा विपक्ष राष्ट्रपति को एक गैर-राजनीतिक व्यक्ति के रूप में देखता है तो राज्यपालों के लिए राज्य सरकारों में ऐसी भावना क्यों नहीं है।
गवर्नर सुंदरराजन की यह टिप्पणी 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर चल रहे राजनीतिक बवाल के बीच आई थी। इस उद्घाटन समारोह का विरोध करते हुए कम से कम 21 विपक्षी दलों ने कार्यक्रम के बहिष्कार करने का फैसला किया था। उनकी मांग थी कि इसका उद्घाटन पीएम की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए।लेकिन तमाम विरोध के बाद भी पीएम मोदी ने ही इसका उद्घाटन किया।
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आज हुई थी तेलंगाना की स्थापना
तेलंगाना की आज ही के दिन 2014 में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापना हुई थी। इससे पहले तेलंगाना, आंध्र प्रदेश राज्य का हिस्सा था।बता दें कि तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग 1969 से ही उठ रही थी, लेकिन साल 1972 और 2009 में इसके लिए दो बड़े जन आंदोलन हुए।
इन आंदोलनों के चलते ही तेलंगाना अलग राज्य बन पाया। 2009 के आंदोलन में लाखों लोग शामिल हुए थे और केसीआर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। इसके बाद कई सालों तक चले शांतिपूर्ण विरोध के बाद तेलंगाना के लोगों की मांग मान ली गई और राज्य की स्थापना हुई।