नैनो का प्लांट लगाने का किया था ऐलान
बता दें कि साल 2006 में रतन टाटा ने ऐलान किया कि वे पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगूर (Tata Nano Singur Plant) में 1 लाख रुपये में मिलने वाली नैनो कार का प्लांट लगाएंगे। उस समय लेफ्ट के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने इस प्रोजेक्ट को राज्य के औद्योगिक विकास में सबसे अहम बताया था। लेकिन विपक्ष में बैठी ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने इस प्रोजेक्ट का काफी विरोध किया था। राज्य सरकार ने यहां पर टाटा को यह प्लांट लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण कर कंपनी को दे दिया था। लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोगों में खासा विरोध था। यहां के किसान अपनी जमीन अधिग्रहण के खिलाफ थे और प्रदेश सरकार यहां पर जमीन टाटा को दे चुकी थी। इसका विरोध ममता बनर्जी ने काफी किया था।
ममता ने किया था विरोध
नैनो के निर्माण के लिए टाटा मोटर्स ने कारखाने का निर्माण शुरू कर दिया था। वहीं ममता बनर्जी ने किसानों के साथ मिलकर खेत बचाओ आंदोलन की शुरुआत कर दी थी। ममता बनर्जी ने 24 अगस्त 2008 को प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित 1000 एकड़ जमीन में से 400 एकड़ की वापसी की मांग की थी और दुर्गापुर एक्सप्रेस हाईवे तक जाम कर दिया था। टाटा के इस प्रोजेक्ट का इतना विरोध हुआ की टाटा ने अंत में 3 अक्टूबर 2008 को सिंगूर से बाहर निकलने का फैसला किया। रतन टाटा ने इस फैसले के लिए ममता बनर्जी और उसके समर्थकों के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद टाटा ने 7 अक्टूबर 2008 को घोषणा की कि वे गुजरात के साणंद में टाटा नैनो प्लांट स्थापित करेंगे।
गुजरात सरकार ने दी थी जमीन
रतन टाटा ने जैसे ही यह घोषणा की कि वे पश्चिम बंगाल में प्लांट बंद करेंगे। तो दूसरी ओर गुजरात तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई थी और रतन टाटा को जमीन दी थी। इसके चलते रतन टाटा का नैनो प्रोजेक्ट के तहत टाटा का प्लांट पश्चिम बंगाल से गुजरात के साणंद शिफ्ट किया गया था।