इसरो के अनुसार, यह समझौता मानव अंतरिक्ष अन्वेषण और अनुसंधान में सहयोगी गतिविधियों के लिए एक रूपरेखा स्थापित करता है, जो अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण, प्रयोग विकास और एकीकरण (अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ईएसए सुविधाओं के उपयोग सहित), मानव और जैव चिकित्सा अनुसंधान प्रयोगों के साथ-साथ संयुक्त शैक्षिक और आउटरीच पहलों पर ध्यान केंद्रित करता है।
आगामी एक्सिओम-4 मिशन (Axiom-4 mission) के लिए, जहां इसरो के गगनयात्री और एक ESA अंतरिक्ष यात्री चालक दल का हिस्सा होंगे, दोनों एजेंसियां ISS के लिए भारतीय प्रधान अन्वेषकों द्वारा प्रस्तावित प्रयोगों को लागू करने के लिए सहयोग कर रही हैं। ISRO ने कहा कि ईएसए के मानव शारीरिक अध्ययन, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रयोगों और संयुक्त शैक्षिक आउटरीच गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रयास चल रहे हैं।
अपने भाषण में एस. सोमनाथ ने मानव अंतरिक्ष उड़ान गतिविधियों के लिए इसरो के रोडमैप पर जोर दिया और कहा कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की हाल ही में हुई मंजूरी मानव अंतरिक्ष उड़ान प्लेटफार्मों के बीच अंतर-संचालन क्षमता विकसित करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करती है। डॉ. एशबैकर ने ESA परिषद को संबोधित करने के लिए डॉ. सोमनाथ के प्रति आभार व्यक्त किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि यह समझौता दोनों एजेंसियों के बीच सहयोग के लिए एक मजबूत आधार के रूप में कार्य करता है। इसरो ने कहा कि दोनों संगठनों के नेतृत्व ने एक्सिओम-4 मिशन के लिए संयुक्त गतिविधियों की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ान में सहयोगात्मक प्रयासों को जारी रखने के महत्व पर जोर दिया।