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बता दें कि इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल के पेश करते हुए बताया था कि, दिल्ली देश की राजधानी है और यहां की तीनों नगर निगमों एक लाख 40 हजार कर्मचारी काम करते हैं। राष्ट्रपति और पीएम के निवास समेत तमाम केंद्रीय दफ्तर यहीं पर स्थित हैं।
देशी-विदेशी यात्राओं के लिए दिल्ली बड़ा केंद्र है। ऐसे में इस शहर के बारे में सभी को सोचने की जरूरत है। उन्होंने नगर निगम के बंटवारे को लेकर भी यूपीए सरकार पर सवाल उठाए थे और कहा कि निगम के बंटवारे का फैसला समझ से बाहर है साल 2012 तक तीनों MCD एक ही हुआ करती थीं लेकिन यूपीए सरकार ने बेहतर कामकाज का हवाला देकर MCD को तीन हिस्सों में बांट दिया था।
अगर साउथ एमसीडी को छोड़ दें तो बाकी दोनों निगमों की आर्थिक हालत काफी खस्ता है और वे अपने कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं दे पा रहे हैं। नतीजा कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं और दिल्ली कचरे के ढेर में तब्दील हो जाती है।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब तीनों MCD के चुनाव में थोड़ा वक्त लगेगा। दरअसल अब डीलिमिटेशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और परिसीमन पूरा होने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। फिलहाल दिल्ली में विपक्षी दल बीजेपी के पास एमसीडी की सत्ता है। दिल्ली की तीनों MCD में फिलहाल अलग-अलग तीन महापौर हैं लेकिन एक निगम होने के बाद यह व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी। यही नहीं परिसीमन के दौरान वार्ड की संख्या में भी बदलाव आएगा।
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