अनुच्छेद 32 के तहत याचिका
भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने में रुचि नहीं रखते हैं। हम याचिका के गुण और दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। याचिका में कहा गया था कि सार्वजनिक हस्तियों के भड़काऊ भाषणों के मामले में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। भड़काऊ बयान राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। साथ ही सामाजिक बंटवारा करने की विचारधारा को बढ़ाते हैं। कोर्ट से अपील की गई कि वह ऐसी बयानबाजी को रोकने के लिए निर्देश तैयार करने के लिए सरकार से कहे। साथ ही गलत बयान देने वालों के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया जाए।
भड़काऊ भाषण के खिलाफ कार्रवाई
याचिका में कहा गया कि सरकार भड़काऊ भाषण पर कानूनी प्रतिबंध लागू करने में फेल रही है। अदालत ने आईपीसी के कुछ प्रावधानों के तहत अशांति भड़काने वाले भाषण के खिलाफ त्वरित कार्रवाई अनिवार्य कर दी है। याचिका में समान कानूनी उपचार के महत्व पर भी जोर दिया गया। इसमें कहा गया कि जब नागरिक और पत्रकार अपराध करते हैं तो सरकार कड़ी कार्रवाई करती है, लेकिन राजनीतिक हस्तियों के अशांति भड़काने वाले बयानों पर कुछ नहीं होता।