‘ग्रीन एमपी’ के तौर पर मशहूर मांडविया
गुजरात के भावनगर जिले के पालीताना तालुका के हनोल नामक छोटे से गांव में 1 जून 1972 को किसान परिवार में जन्मे मांडविया संघर्षों के साथ सफलता हासिल करने वाले शख्स रहे हैं। संसद तक साइकिल से जाने के शौक के कारण ‘ग्रीन एमपी’ के तौर पर मशहूर मांडविया की राजनीतिक यात्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुई। राजनीति विज्ञान में एमए और पीएचडी की शिक्षा प्राप्त मांडविया 2002 में 28 साल की उम्र में ही विधायक बन गए थे। मोदी सरकार में पहली बार 5 जुलाई 2016 को उन्हें परिवहन, शिपिंग और रसायन-उर्वरक राज्य मंत्री के रूप में एंट्री मिली। दूसरे कार्यकाल में 2019 में उन्हें पहले रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री के साथ बंदरगाह, एवं जलमार्ग का स्वतंत्र प्रभार मिला। दो साल बाद 2021 में उन्हें प्रमोशन देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिली। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय भी उनके पास ही रहा।
पदयात्राओं के लिए जाने जाते हैं मांडविया
मांडविया सामाजिक मुद्दों के लिए लंबी पदयात्राओं के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 2004 में, बालिका शिक्षा के प्रचार और जागरूकता के लिए 123 किलोमीटर और 2006 में लैंगिक भेदभाव और और नशे की लत के खिलाफ उन्हाेंने 127 किलोमीटर की पदयात्रा की। मांडविया ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 150 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की।
कोविड टीकाकरण का रिकॉर्ड, अच्छी पहल भी
कोविड महामारी के बाद मांडविया के स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में दुनिया के सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान का रिकॉर्ड बना। इस दौरान टीकों की 220 करोड़ से अधिक खुराकें दी गईं। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से 10 करोड़ सैनिटरी नैपकिन वितरित करने महिला स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यूनिसेफ से सम्मान मिला वहीं आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी शुरू किया।
खोले 10 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र
रसायन एवं उर्वरक मंत्री रहते मनसुख मांडविया ने सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने से जुड़े मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र परियोजना को धरातल पर उतारा। उनके नेतृत्व में देश में 10,600 से अधिक जन औषधि स्टोर खोलें, जहां सस्ती दरों पर दवाइयां मिलतीं हैं।