सरकार बनाने के लिए अब कोई खेला मुश्किल
जानकार हालांकि कह रहे हैं कि बहुमत के आंकड़े से तीन सीट ज्यादा होने से अब कोई खेला संभव नहीं है। लेकिन, क्या भाजपा कश्मीर को मौजूदा नाजुक हालात में किसी के भरोसे छोड़ेगी, यह सवाल बना हुआ है। चुनाव में सात निर्दलीय और अन्य भी जीते हैं। लेकिन, उनकी मदद से किसी सरकार के बनने बिगड़ने की स्थिति नहीं है, क्योंकि पीडीपी इंडिया गठबंधन की साझेदार होने के नाते एनसी-कांग्रेस की गठबंधन सरकार को समर्थन की घोषणा पहले ही कर चुकी है। जम्मू में 35 का लक्ष्य लेकर चली भाजपा को कुल 29 सीटें ही मिली। इनमें अगर पांच मनोनीत सदस्य जोड़ें तो संख्या 34 होती है, इसमें यदि सारे सात निर्दलीय व अन्य भी जोड़ें (जो असंभव है) तो आंकड़ा 41 होता है जो जादुई अंक 46 से पांच कम रह जाता है। भाजपा घाटी में तो पीडीपी जम्मू में शून्य
भाजपा को इस बार फिर कश्मीर घाटी की एक भी सीट नहीं मिली। उसके प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद यूसुफ सोफी समेत घाटी में खड़े किए गए सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए। इधर पिछले चुनाव में जम्मू संभाग में तीन सीट जीतने वाली महबूबा मुफ्ती की पीडीपी का जम्मू में सूपड़ा साफ हो गया। पिछली बार घाटी में 25 सीट जीतने वाली पीडीपी को इस घाटी तीन सीट पर ही संतोष करना पड़ा। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी बिजबहेरा सीट से एनसी की हाथों नौ हजार से अधिक वोटों से हार गईं।
एनसी रही फायदे में, कांग्रेस को नुकसान
घाटी में पीडीपी को हुए भारी नुकसान का पूरा फायदा एनसी को ज्यादा मिला, जिसकी पिछली बार 15 सीट की संख्या बढ़ कर इस बार 43 पहुंच गई, कांग्रेस को भी घाटी में गठबंधन का फायदा मिला, उसकी घाटी में एक सीट बढ़ी। लेकिन जम्मू में पिछली बार के मुकाबले 4 सीटों का नुकसान हो गया। इस तरह कांग्रेस को कुल मिलाकर तीन सीटों का घाटा हुआ और उसका आंकड़ा नौ से घट कर जम्मू और कश्मीर में छह ही रह गया।
आप ने डोडा जीत कर चौंकाया
जम्मू संभाग में आम आदमी पार्टी के मेहराज मलिक ने डोडा सीट पर भाजपा के गजसिंह राणा पर साढ़े चार हजार से अधिक वोटों से अप्रत्याशित जीत हासिल की। डोडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी चुनावी सभा हुई थी। उधर घाटी की कुलगाम सीट पर इस बार फिर माकपा के मोहम्मद यूसुफ तारीगामी विजयी रहे।
जमात का असर दिखा न इंजीनियर का
बारामुला के सांसद इंजीनियर राशिद, जिनकी चुनाव से पहले जेल से अंतरिम जमानत पर रिहाई के खासे चर्चे रहे। लेकिन उनकी अवामी इत्तेहाद पार्टी समेत पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी की जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी, गुलाम नबी आजाद की जम्मू-कश्मीर प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी और तो और जमात-ए-इस्लामी समर्थित निर्दलीयों तक का कोई खास असर नतीजों में देखने को नहीं मिला। इनके बेअसर रहने भाजपा का जम्मू-कश्मीर में येनकेन प्रकारेण सरकार बना लेने का प्लान सफल नहीं हो पाया।
परिसीमन का भी नहीं मिला फायदा
चुनाव से पहले परिसीमन में जम्मू संभाग में 37 सीटें थी जबकि कश्मीर संभाग में 46 सीटें थी। जम्मू का दबदबा बढ़ाने के लिए जम्मू में 6 सीटें बढ़ा कर 43 कर दी गई जबकि घाटी में एक सीट बढ़ा कर 47 की गई। बावजूद इसके भाजपा की सीटों की संख्या 4 बढ़ कर 25 से 29 ही हो पाई। इसी वजह से भाजपा का कश्मीर में सरकार बनाने का सपना साकार नहीं हो पाया।