उमर सरकार को हर निर्णय से पहले LG से लेनी होगी परमिशन
उमर जिन परिस्थितियों में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, वह 2019 के पहले से अलग है। सरकार को लगभग हर निर्णय के लिए उपराज्यपाल (LG) की ओर देखना होगा। सरकार को वित्तीय फैसले, अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग, भ्रष्टाचार के मामलों में एलजी पर निर्भर रहना होगा। पहले से ज्यादा मजबूत भाजपा अपनी राजनीतिक लड़ाई ज्यादा आक्रामकता से लड़ेगी। ऐसे में फिर से रोशनी जमीन घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के मामलों की गूंज सुनाई दे सकती है। 25 हजार करोड़ रुपए के कथित घोटाले में कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के कई नेताओं पर आरोप लगते रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) भी चुनाव प्रचार के दौरान भ्रष्टाचार, आतंकवाद और अलगाववाद के मुद्दे पर एनसी और कांग्रेस को घेरते रहे हैं।
डराता रहेगा भाजपा का इतिहास
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में कुल विधायकों की संख्या 90 है और इंडिया ब्लॉक के पास 48 विधायकों का सामान्य बहुमत है। पीडीपी (PDP) के समर्थन के बाद यह संख्या 51 तक पहुंच रही है। कुछ निर्दलीय भी सरकार को समर्थन दे सकते हैं। इसके बावजूद भाजपा के अन्य राज्यों में सरकार बनाने के इतिहास को देखते हुए यहां पर भी ऐसा होने की संभावना बनी रहेगी। गठबंधन के सामने कांग्रेस के सभी विधायकों को ‘हॉर्स ट्रेंडिंग’ (Horse Trading in JK) से बचाकर अपने साथ रखने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। भाजपा के पास 29 विधायक हैं। वहीं पांच विधायकों को उपराज्यपाल मनोनीत कर सकते हैं। इसके अलावा सात निर्दलीय, जेपीसी का एक विधायक भी है।