कुछ जगह सीपीएम एवं भाजपा के झंडे
ट्रेन से उतरे अधिकतर यात्री मायापुर की टैक्सियों में सवार हैं। मायापुर के इस्कॉन मंदिर जाने की उत्सुकता के साथ मैं भी एक टैक्सी में सवार हूं। मायापुर की सडक़ अच्छी बनी हुई हैं और सडक़ से सटकर ही नया रेलवे ट्रेक बनाया गया है। यह ट्रेक आमघाट तक बनकर तैयार हो चुका है। रेलवे की ओर से इस ट्रेक को मायापुर तक ले जानी की योजना है। ताकि कोलकाता व मायापुर के बीच सीधी रेल कनेक्टिविटी हो सके। टैक्सियों के चालकों के मोबाइल फोन पर भगवान कृष्ण के भजनों की रिंगटोन बज रही है। रास्ते में जगह-जगह टीएमसी के झंडे-बैनर लगे दिखाई दे रहे हैं। कुछ जगह सीपीएम एवं भाजपा के झंडे भी दिखाई दिए। कृष्णनगर से मायापुर के हुलार घाट तक करीब 15 किलोमीटर की दूरी टैक्सी से तय की। हुलार घाट के पास थड़ी पर मिले बिश्वाजीत सहित अन्य से चुनाव का माहौल पूछा तो बिश्वजीत ने धीरे से कान के पास आकर बोला, आप हमारी दुकान व आस-पास लगे झंडे-बैनर को मत देखो। ये केवल टीएमसी वालों की माथापच्ची से बचने के लिए लगा रखे हैं। इस बार लोगों के दिलों में केवल मोदीजी बसे हैं। कृष्णनगर व राणाघाट क्षेत्र में ईवीएम का बटन मोदीजी के लिए ही दबेगा। हुलार घाट से जलंगी नदी (गंगा नदी की वितरिका पद्मा नदी की वितरिका) को नाव के जरिए पार कर इस्कॉन मंदिर पहुंचा। मेरी तरह सैंकड़ों साधक भी मंदिर पहुंचे हैं। वैसे मायापुर कस्बा रानाघाट लोकसभा क्षेत्र में आता है, लेकिन इस्कॉन मंदिर सहित अन्य मंदिरों का प्रभाव कृष्णनगर एवं रानाघाट सहित आस-पास तक हैं।AAP के कैंपेन सॉन्ग को मिली मंजूरी, दिलीप पांडेय बोले- तानाशाही कर रही केंद्र सरकार
यहां सेवा केन्द्र में एक साधक से चुनाव पर पूछा तो बोले, मंदिर में कृष्ण की भक्ति से बढक़र कुछ नहीं। मंदिर के लिए सभी एक समान है, इसलिए यहां किसी भी तरह की राजनीति पर बात नहीं करते। एक अन्य साधक ने कहा कि बात इसलिए भी नहीं होती, क्योंकि इससे विवाद भी गहरा जाता है। करीब 2 घंटे तक मंदिर व मायापुर कस्बे के भ्रमण के दौरान कई लोगों से चर्चा के बाद मैं पुन: कृष्णनगर पहुंचा। बस स्टैंड के पास आरएन टैगोर रोड पर दीपांकर मंडल व अर्जुन मिले, उन्होंने कहा कि अब दीदी का समय गया, अब दादा का दौर है। रेलवे स्टेशन पर वेंडर बोले, हमारी पहचान हुई तो कल से ही वेंडर का काम करना मुश्किल हो जाएगा। आप तो यह जान लो कि इस बार दीदी की नहीं चल रही। बतकुला गांव निवासी बिश्वजीत सरकार ने कहा कि शहर में लगे टीमएसी के झंडों-बैनरों से कुछ नहीं होना, इस बार बदलाव की हवा है।
पहले सीपीएम का कब्जा था, तीन बार से जीत रही टीएमसी
कृष्णनगर लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत 7 विधानसभा क्षेत्र हैं। छह विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी के विधायक हैं। कृष्णनगर सिटी नॉर्थ में भाजपा के विधायक है। वर्ष 1967 से अब तक 14 लोकसभा चुनाव में 9 बार सीपीएम, एक बार भाजपा, एक बार निर्दलीय एवं तीन बार टीएमसी ने चुनाव जीते। बीते तीन लोकसभा चुनाव से इस सीट पर टीएमसी जीत रही है। पिछले 2019 के चुनाव में वोट शेयर के लिहाज से भाजपा ने टीएमसी को टक्कर दी थी। ज्ञात है वर्ष 1999 से 2004 तक अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार के समय सत्यब्रत मुखर्जी भाजपा से सांसद रहे। जानकारों के अनुसार, इस सीट पर भाजपा पुन: कब्जा कर सकती है। वहीं सीपीएम भी इस चुनाव में जोर लगा रही है। सीपीएम को उम्मीद है कि टीएमसी सरकार के खिलाफ आमजन में आंतरिक आक्रोश का फायदा उन्हें मिल सकता है।दादा और दीदी, दोनों लगा रहे जोर
कृष्णनगर का रण जीतने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी चुनावी सभा कर चुके हैं। भाजपा के बड़े नेता भी कृष्णनगर आकर रणकौशल बनाने में जुटे हैं। भाजपा के लिए इस सीट की जीत सुनिश्चित करना इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस सीट से टीएमसी प्रत्याशी व महुआ मोइत्रा चुनाव लड़ रही है। यह वही महुआ है, जिन्हें कैश फॉर क्वैरी मामला गर्माने पर दिसम्बर 2023 में संसद से निष्कासित कर दिया गया था। महुआ लोकसभा सदन में सत्ता पक्ष के खिलाफ मुखर आवाज भी उठाती रही है। यहां पर जिस तरह भाजपा की रणनीति दिखाई दे रही है। उसी तरह टीएमसी की किलेबंदी भी कम नहीं है। प्रचार में टीएमसी का बोलबाला है। बंगाल सीएम ममता बनर्जी यहां कई सभाएं कर चुकी है। एक सभा में सीएम ममता दीदी ने महुआ मोइत्रा के साथ बंगाली लोकगीत पर नृत्यकर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश भी की है। इस सीट पर 13 मई को चुनाव होना है। चुनाव में यहां दादा (पीएम मोदी) की गारंटी काम करेगी या दीदी (ममता बनर्जी) का प्रभाव काम आएगा, यह 4 जून को पता चलेगा।बीजेपी ने कृष्णनगर सीट से अमृता रॉय को उतारा
गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु के जन्म की धरा कृष्णनगर का मायापुर शानदार मंदिरों के लिए विख्यात है। यहां इस्कॉन का मुख्यालय भी है। इस्कॉन मंदिर के अनुयायियों का प्रभाव न केवल कृष्णनगर बल्कि रानाघाट व आस-पास के क्षेत्रों तक भी है। लोकसभा चुनाव पर भी कृष्ण भक्ति से जुड़े लोगों का प्रभाव स्वाभाविक-सा दिख रहा है। भाजपा ने कृष्णनगर सीट से पूर्व राजपरिवार की सदस्य अमृता रॉय को उतारा है तो तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने महुआ मोइत्रा पर दूसरी बार फिर दांव लगाया है। यहां कांग्रेस के ‘इंडिया’ गठबंधन से सीपीआइ(एम) प्रत्याशी एस.एम. सादी भी मैदान में हैं। वामदल प्रत्याशी की मौजूदगी से टीएमसी के वोटबैंक पर प्रभाव पड़ने की संभावना दिख रही है।कृष्णनगर लोकसभा के चुनाव में प्रमुख प्रत्याशी : एक नजर
भाजपा- अमृता रॉय
मजबूत पक्ष-
-बंगाल के पूर्व राजा कृष्ण चंद्रदेव की वंशज होना और क्षेत्र में पूर्व राज परिवार सदस्यों का जनता में सम्मान।-कृष्ण भक्त चैतन्य महाप्रभु व इस्कॉन मंदिर से जुड़े अनुयाइयों और मतुआ समाज का भाजपा की तरफ झुकाव।
-भ्रष्टाचार को लेकर सत्तारूढ दल टीएमसी के प्रति लोगों में नाराजगी।
कमजोर पक्ष
-राजनीति में नई हैं। इसलिए सियासत के पैंतरे समझने में मुश्किल।-विपक्ष की ओर से पूर्व राज परिवार के इतिहास को लेकर दुष्प्रचार करना।
-भाजपा की तुलना में टीएमसी के संगठन की कार्यप्रणाली प्रभावी
एआईटीसी( टीएमसी)- महुआ मोइत्रा
मजबूत पक्ष
-टीमएसी से विधायक व सांसद रहने का अनुभव, क्षेत्र में पकड़।-सीएम ममता बनर्जी का सीट पर विशेष फोकस। कई बार दौरे किए।
-कर्मचारी यूनियन व क्लबों के जरिए क्षेत्र में माहौल को पक्ष में बनाया।
कमजोर पक्ष
-कैश फॉर क्वैरी मामले में संसद से निकाला जाना और मुद्दा बनाने का प्रभाव।-युवा वर्ग में बेरोजगारी और दूसरे राज्यों में पलायन। सीपीएम प्रत्याशी से वोट बंटने का खतरा।
-टीएमसी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप। विवादित बयानों से नुकसान।