वैक्सीन की पहली डोज को प्राइमरी कहा जाता है। पहले डोज में वायरस की पहचान कर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनती है और इसी एंटीबॉडी को बनाये रखने के लिए दूसरा डोज भी दिया जाता है। कोरोना में इस्तेमाल हो रही अधिकतर वैक्सीन की इम्युनिटी 6 से 8 महीने बाद कम होती पाई गई है। अभी जब ओमीक्रोन का प्रकोप देश में धीरे-धीरे बढ़ रहा है तो सरकार ने तीसरी डोज यानी प्रिकॉशन डोज देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जिक्र किया कि हेल्थ केयर वर्कर फ्रंटलाइन वर्कर और कोरोना वारियर्स कोविड के खिलाफ लड़ाई में देश को सुरक्षित रखने में बहुत बड़ा योगदान दिया है और आज भी वह कोरोना के मरीजों की सेवा में अपना समय बिता रहे हैं। इसलिए एहतियात के तौर पर हेल्थ केयर वर्कर फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज दी जाएगी
यह भी पढ़ें :
International Day of Epidemic Preparedness 2021: इतिहास, महत्व और वह सब जो आपको जानना जरूरी है
6 करोड़ लोगों को दी जाएगी प्रिकॉशन डोज
हेल्थ केयर वर्कर फ्रंटलाइन वर्कर को 10 जनवरी से प्रिकॉशन डोज देने की शुरुआत हो जाएगी इनकी संख्या लगभग तीन करोड़ है। 60 साल के ऊपर के लोगों को तीसरी डोज लगवाने के लिए बीमारी का सर्टिफिकेट लेकर आना होगा, जिसमें उनकी बीमारी का जिक्र हो। 45 वर्ष से अधिक के बीमार लोगों के लिए टीकाकरण शुरू करते समय जिन बीमारियों की लिस्ट जारी की गई थी| उन्हें बीमारियों के मामले में मरीज को फिर से सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इनमें दिल की बीमारी, डायबिटीज समेत 20 बीमारियां शामिल है। यानी की बीमारी वही है बस उम्र का वर्ग बदल दिया गया है| ऐसे बीमार बुजुर्ग लोगों की संख्या भी लगभग तीन करोड़ है।
तीसरी खुराक उसी टीके की होगी, जिसके पहले दो डोज़ लग चुके हैं
जिन्हें पहले जिस वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। उन्हें उसी वैक्सीन की तीसरी डोजे दी जाएगी। वैक्सीन की तीसरी डोज लेने के लिए पहले की तरह ही रजिस्ट्रेशन करना होगा। किसी रजिस्टर्ड डॉक्टर द्वारा बीमार बुजुर्गों को मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना होगा। इस सर्टिफिकेट को मरीज के सिग्नेचर के साथ कोविन ऐप पर अपलोड किया जा सकेगा।सरकार ने कहा है कि वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सभी राज्य सरकारों के पास रविवार के आंकड़े तक के मुताबिक 18 करोड़ से अधिक वैक्सीन बाकी है। भारत में हर महीने कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के लगभग 31 करोड़ डोज बन रहे हैं।