पहले तय थी सीमा
दलहन और तिलहन किसानों को MSP प्रदान करने के मकसद से कुछ साल पहले शुरू की गई इस योजना में पहले कोई किसान एमएसपी पर एक निश्चित मात्रा तक ही उपज बेच सकता था। केंद्र सरकार किसी सीजन में हुई वास्तविक फसल का 25% ही एमएसपी पर खरीदने के लिए बाध्य थी। राज्य सरकार 25% से अधिक उपज खरीदना चाहती थी तो उसे अपने पास से रकम लगानी पड़ती थी। बाद में यह सीमा बढ़ाकर 40% कर दी गई। 2023-24 में केंद्र ने अरहर, उड़द और मसूर के लिए 40% खरीद की सीमा हटा ली थी। अब खरीद की सीमा 100% तक बढ़ाई जाएगी। यानी अगर बाजार में कीमतें एमएसपी से कम हुईं तो किसानों की दलहन और तिलहन की पूरी उपज एमएसपी पर खरीदी जाएगी।
क्या होगा फायदा
पीएम-आशा योजना के नियमों में बदलाव के बाद बाजार में कीमतें घटने पर किसान सरकार से अपनी समूची दलहन और तिलहन उपज के दाम के अंतर के बराबर मुआवजा पाने के हकदार हो जाएंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अगर किसी वजह से तिलहन और दलहन की कीमतें एमएसपी से 10 से 15% तक गिरती हैं तो जरूरत पडऩे पर उसकी भरपाई सरकार की ओर से की जा सकती है। हर साल 24 से ज्यादा फसलों के एमएसपी तय करने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दलहन की सरकारी खरीद पर कोई बंदिश नहीं लगाने और तिलहन के दाम MSP से नीचे जाने पर उस अंतर की भरपाई करने की सलाह दी है।
कृषि लागत मूल्य आयोग की सिफारिश
CACP ने अपनी रिपोर्ट में कहा, मूल्य समर्थन योजना के तहत अरहर, उड़द और मसूर की खरीद के लिए 40% की जो सीमा 2023-24 में हटा ली गई थी, उसे अगले 2 से 3 साल के लिए बढ़ाना चाहिए ताकि किसानों के लिए उपज का उचित मूल्य पक्का हो सके। कृषि लागत मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन का दायरा सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली आदि तक बढ़ाने की सिफारिश की है। साथ ही मूल्य में अंतर के भुगतान की योजना के तहत तिलहन की खरीद में निजी क्षेत्र की ज्यादा भागीदारी का सुझाव देने के साथ ही पीएम-आशा के तहत निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना के परीक्षण की भी सिफारिश की है।