इनामदार ने कहा कि वह अपनी “अंतरात्मा की आवाज” सुनने के बाद इस्तीफा दे रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने जनवरी 2020 में विधायक पद से इस्तीफे की घोषणा की थी लेकिन स्पीकर ने इसे स्वीकार नहीं किया था। मंगलवार को अपना इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह मेरे द्वारा दबाव डालने की रणनीति नहीं है।
पिछली बार भी लगाए थे गंभीर आरोप
भाजपा नेता ने कहा कि लंबे समय से मुझे महसूस हो रहा है कि पार्टी द्वारा छोटे और पुराने कार्यकर्ताओं (लंबे समय से पार्टी से जुड़े) का ख्याल नहीं रखा गया है। मैंने नेतृत्व को इस बारे में अवगत करा दिया है। इनामदार ने कहा कि उन्होंने 11 साल से अधिक समय तक सावली सीट का प्रतिनिधित्व किया और जब से वह भाजपा के सक्रिय सदस्य बने तब से वह पार्टी से जुड़े हुए हैं।
‘यह मेरी ही नहीं बल्कि हरेक कार्यकर्ता की आवाज है’
उन्होंने कहा लेकिन जैसा कि मैंने 2020 में कहा था, आत्मसम्मान से बड़ा कुछ नहीं है और यह अकेले केतन इनामदार की आवाज नहीं है बल्कि पार्टी के हर एक कार्यकर्ता की आवाज है। मैंने पहले भी कहा है कि पुराने पार्टी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं यह सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम करूंगा कि हमारे लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार रंजन भट्ट सबसे बड़े अंतर से जीतें लेकिन यह इस्तीफा मेरी अंतरात्मा की आवाज का परिणाम है।”
पिछली बार इस्तीफे के बाद विधायक ने ऐसा कहा था…
इनामदार ने 2020 में इस्तीफा देने के बाद कहा था कि उन्होंने दावा किया था कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और मंत्री उनकी और उनके निर्वाचन क्षेत्र की अनदेखी कर रहे थे और भगवा पार्टी के कई विधायक उनकी तरह “निराश” महसूस कर रहे थे।
पहली बार निर्दलीय जीत हासिल की थी
उन्होंने पहली बार 2012 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और 2017 और 2022 के चुनावों में दो बार जीत हासिल की। गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में से फिलहाल बीजेपी के पास 156 सीटें हैं। गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर एक ही चरण में 7 मई को मतदान होगा और वोटों की गिनती 4 जून को होगी।
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