प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान से INDIA गठबंधन में पड़ सकती है फूट
भारत की राजनीति में जननायक के उपनाम से प्रसिद्ध बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की विरासत को लेकर सभी समाजवादी नेता अपना-अपना दावा करते हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव उन्हें अपने पिता के समान बता रहे हैं। वहीं, बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद को कर्पूरी ठाकुर का असली उत्तराधिकारी बताते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी भी कर्पूरी ठाकुर को लेकर अपना दावा करती है। पूर्व सीएम ठाकुर को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित करने का ऐलान उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले करके प्रधानमंत्री मोदी INDIA गठबंधन में फूट डाल सकते हैं।
किस जाति से आते हैं कर्पूरी ठाकुर ?
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की आज यानी बुधवार को ही 100वीं जन्म जयंती है। ऐसे में जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी कर्पूरी ठकुर की जयंती पर कार्यक्रम करने वाली है। कर्पूरी ठाकुर के बेटे और जेडीयू के राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर ने मोदी सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया है। ठाकुर ने कहा है कि 36 साल की तपस्या का फल मिला है। मैं अपने परिवार और बिहार की जनता की तरफ से केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं। बता दें कि कर्पूरी ठाकुर नाई समाज से आते हैं, जो कि उत्तर भारत के वोटबैंक में बड़ा हिस्सा रखते हैं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार उन्हें भारत रत्न देकर वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश करेगी।
1952 में विधायक और 1970 में सीएम बने ठाकुर
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 में समस्तीपुर जिले के पितौझिय गांव में हुआ था। कर्पूरी ठाकुर 1942 के असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा ले चुके हैं। देश आजाद होने के बाद कर्पूरी ठाकुर पहली बार साल 1952 में विधायक बने थे। कर्पूरी ठाकुर 1970 में पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। ठाकुर का मुख्यमंत्री का पहला कार्यकाल महज 163 दिन का ही रहा. लेकिन, साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार में कर्पूरी ठाकुर दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। कर्पूरी ठाकुर दूसरा कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सके। बिहार में कर्पूरी ठाकुर को जन नायक कह कर पुकारा जाता है। साल 1988 में कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया था, लेकिन इतने साल बाद भी वो बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
पहली बार कब की गई कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग
लालू प्रसाद यादव की आरजेडी UPA की दोनों सरकार में सहयोगी रही है। लेकिन सरकार में रहने के दौरान उन्होंने कभी कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग नहीं की। 2017 में लालू यादव ने पहली बार कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न मांगा। वहीं, 2022 में बिहार विधानसभा के कार्यक्रम में शामिल होन के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी के सामने बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी ये मांग उठाई। वहीं, बिहार के वर्तमान सीएम ने 2023 में पहली बार उनके लिए भारत रत्न की मांग की।
नीतीश को अपने पाले में लाने की कोशिश
बिहार की राजनीति में कब क्य हो जाए कुछ भी कहना मुश्किल हैं। बिहार में इन दिनों भले ही कड़ाके की सर्दी पड़ रही हो। लेकिन मुख्यमंत्री के मंगलवार को अचानक से राज्यपाल से मिलने के लिए पहुंचने, INDIA गठबंधन का संयोजक बनने से इंकार करना ये बतात है कि नीतीश महागठबंधन में सहज नहीं है, वहीं, भाजपा ने भी नीतीश को लेकर नरम रुख अपना रखा है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा फिर से नीतीश के साथ गठबंधन कर सकती है।
कभी लालू यादव ने बताया था कपटी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू यादव लिखते हैं, ”मेरे राजनीतिक और वैचारिक गुरु स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न अब से बहुत पहले मिलना चाहिए था। हमने सदन से लेकर सड़क तक ये आवाज़ उठायी लेकिन केंद्र सरकार तब जागी जब सामाजिक सरोकार की मौजूदा बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना करवाई और आरक्षण का दायरा बहुजन हितार्थ बढ़ाया। डर ही सही राजनीति को दलित बहुजन सरोकार पर आना ही होगा।’ आज कर्पूरी ठाकुर के लिए ये लिखने वाले लालू यादव ने एक बार उनके फैसले से नाराज होकर उन्हे कपटी ठाकुर बताया था।