कजलियां अर्थात अन्न को साक्षी मानकर प्रतीकात्मक रूप से एक दूसरे की एकता, मेलजोल का संदेश दिया जाता है। वहीं अपने परिजन के निधन से दुखी लोगों के घर शोक संवेदना देने भी लोग पहुंचते हैं। क्षेत्र में कजलियों के पर्व के महत्व को इसी बात से जाना जा सकता है कि इस अवसर पर जिले का स्थानीय अवकाश घोषित होता है। इसी कड़ी में सोमवार को अंचल में आपसी मेल मिलाप का प्रतीक कजलियों का पावन पर्व मनाया गया।
नरसिंहपुर•Aug 27, 2018 / 06:13 pm•
ajay khare
kajalyan
गाडरवारा। क्षेत्र में रक्षाबंधन के अगले दिन कजलियों का पर्व मनाया जाता है। इसमें महिलाएं राखी के कई दिन पहले अपने घरों में गेहंू के जवारों को खप्परों, पत्तों के दोने में बो देती हैं। वहीं रक्षाबंधन के अगले दिन नदी या गांव के जलस्त्रोत पर पहुंचकर कजलियों को छांटकर निकाला जाता है। शेष को वहीं विसर्जित कर देते हैं। इसके बाद भगवान को कजलियां अर्पित कर एक दूसरे को आदान प्रदान किया जाता है। इसमें कजलियां अर्थात अन्न को साक्षी मानकर प्रतीकात्मक रूप से एक दूसरे की एकता, मेलजोल का संदेश दिया जाता है। वहीं अपने परिजन के निधन से दुखी लोगों के घर शोक संवेदना देने भी लोग पहुंचते हैं। क्षेत्र में कजलियों के पर्व के महत्व को इसी बात से जाना जा सकता है कि इस अवसर पर जिले का स्थानीय अवकाश घोषित होता है। इसी कड़ी में सोमवार को अंचल में आपसी मेल मिलाप का प्रतीक कजलियों का पावन पर्व मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने नदी पहुंच कर नदी में कजलियों को निकाला एवं टोकरियों में अपने घर ले गईं। वहीं नदी तट पर मेले का आयोजन किया गया। बच्चों ने उत्साह से मेले का आनंद उठाया। वहीं नगर भर में कजलियां मिलन जारी रहा, अनेक लोगों, समाजों ने एक दूसरे को कजलियों का आदान प्रदान किया। वहीं शोकसंतप्त घरों मेंं कजलियां देने लोग पहुंचते रहे। ऐसे शोक संवेदना वाले घरों में आने वालों की भीड़ रही। साथ ही नगरवासियों ने भी एक दूसरे को कजलियां देकर गले मिलकर एकता प्रगाढ़ की। वहीं बड़ों को कजलियां देकर आशीर्वाद लिया।
नपाध्यक्ष ने किया परंपरा का पालन
क्षेत्र की संस्कृति से जुड़े कजलियों के पर्व पर सभी छोटे बड़े का भेदभाव भुलाकर मिलजुल कर कजलियों का पर्व मनाते हैं। इसी कड़ी में नपाध्यक्ष अनीता जायसवाल भी अपने पति के साथ नदी तट पहुंची एवं कजलियों से जुडे रीति रिवाज नदी में संपन्न कर लोगों को कजलियों की बधाई दी।
सोशल मीडिया पर कजलियों की धूम
एक दूजे को प्रत्यक्ष कजलियां देने के अलावा सोशल मीडिया पर भी कजलियां छाई रहीं। इसमें लोग सोशल मीडिया साइट्स पर कजलियों के संदेश भेजकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते रहे। इसमें संदेशों के साथ कजलियों के फोटो की बाढ़ रही।
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