scriptबरमान के बैंगन के स्वाद में लगेगा जीआइ टैग ! | Patrika News
नरसिंहपुर

बरमान के बैंगन के स्वाद में लगेगा जीआइ टैग !

टैगिंग के लिए नर्मदा के सतधारा, धरमपुरी, बरमान, रामघाट और केसली घाट तक करीब एक हजार हैक्टेयर रकबे के बैंगन को चुना गया है। बमरमान के बैंगन का भुरता और गक्कड़ के जायके के कद्रदान बुंदेलखंड, महाकोशल, विंध्य और बघेलखंड के साथ प्रदेश के कई जिलों में हैं। दिल्ली, नागपुर, उप्र, मुंबई में भी इसकी मांग है।

नरसिंहपुरJan 04, 2025 / 05:02 pm

brajesh tiwari

नरसिंहपुर. स्वाद के लिए देश भर में विख्यात बरमान का बैंगन जल्द ही देशभर में अपनी पहचान बना सकता है। इसके जीआइ टैग के लिए दो साल से चल रही प्रक्रिया पूरी हो गई है। टैगिंग के लिए सभी जरूरी दस्तावेज चेन्नई भेजे जा चुके हैं, अब इसमें आखिरी हियरिंग बची है। इसके पूरा होते ही बैंगन को जीआई टैग मिल जाएगा। टैगिंग के लिए नर्मदा के सतधारा, धरमपुरी, बरमान, रामघाट और केसली घाट तक करीब एक हजार हैक्टेयर रकबे के बैंगन को चुना गया है। बमरमान के बैंगन का भुरता और गक्कड़ के जायके के कद्रदान बुंदेलखंड, महाकोशल, विंध्य और बघेलखंड के साथ प्रदेश के कई जिलों में हैं। दिल्ली, नागपुर, उप्र, मुंबई में भी इसकी मांग है।
पोषक तत्वों से भरपूर
नर्मदा की कछार में होने वाला यह बैंगन ा महीन बीज व रेशामुक्त होता है। इसका वजन 5 से 7 किलो तक का हो जाता है, जबकि अन्य बैंगन में मोटा व कडक़ बीज होता है। यह वाद, आकार, पोषक-पाचक तत्वों जैसी कई खासियतों से भरपूर है। इसकी खेती करने वाले किसान पन्नी नौरिया ने बताय कि बैंगन का का यह बीज दशकों पुराना है। हर साल किसान खुद इस बीज को तैयार करते हैं। इसकी बिक्री सीजन के दौरान सामान्य बैंगन से तीन-चार गुना ज्यादा रेट पर होती है। इसे कच्चा भी खाया जा सकता है।
यह होगा फायदा
-जीआइ टैग मिलने से बैंगन को अपनी पहचान मिलेगी और कानूनी संरक्षण मिलेगा
इसकी कीमत और महत्व बढ़ जाएगा.
देश-विदेश में बड़ा मार्केट मिल सकेगा
उत्पादक किसानों को आर्थिक मज़बूती मिलेगी।

यह होता है जीआइ टैग
जीआइ टैग, वल्र्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइज़ेशन की एक पहल है। यह एक तरह का लेबल होता है, जिसके ज़रिए किसी खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पाद को पहचाना जाता है। भारत में, संसद ने साल 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत जीआई टैग की शुरुआत की थी।

बरमान के बैंगन की जीआइ टैगिंग के लिए सभी जरूरी प्रक्रिया हो गई है। अब हियरिंग होना शेष है। हियरिंग पूरी होते ही जीआइ टैग मिल जाएगा।
पद्मश्री डॉ. रजनीकांत सिंह, जीआई टैगिंग


मिट्टी में जो 17 तत्व होते हैं, वह नर्मदा की तटीय भूमि में पर्याप्त हैं। बरमान के बैंगन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व हैं, जिसकी वजह मिट्टी व नर्मदा का पानी व तटीय क्षेत्र का तापमान है।
डॉ. एसआर शर्मा, कृषि वैज्ञानिक नरसिंहपुर
बरमान के बैंगन में पानी की मात्रा 85 से 89 प्रतिशत होती है, यह यूनिक है। इसमें बीमारियों से लडऩे वाले पोषक तत्व भरपूर हैं। इसे लोग कच्चा भी खाते हैं।
डॉ. अखिलेश तिवारी, प्रमुख वैज्ञानिक उद्यान शास्त्र जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि जबलपुर

Hindi News / Narsinghpur / बरमान के बैंगन के स्वाद में लगेगा जीआइ टैग !

ट्रेंडिंग वीडियो