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नरसिंहपुर

साफ्टवेयर में गलती की सजा भुगत रहे अन्नदाता किसान

सौ ड़ेढ़ सौ किमी दूर के किसानों का नरवारा सोसायटी में पंजीयन किसानों को नहंीं मिल रहे नरवारा सोसायटी के मैसेज

नरसिंहपुरMay 06, 2018 / 05:41 pm

ajay khare

mandi

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गाडरवारा। सरकार द्वारा अन्नदाता किसानों की मुसीबतें कम करने के लिए सोसायटियों के माध्यम से उपज का शासकीय समर्थन मूल्य पर क्रय कराया जा रहा है। इसमें किसानों को मैसेज भेज कर उपनी उपज संबंधित खरीदी केंद्र पर लाने की सूचना देने की व्यवस्था की गई है। लेकिन किसानों को यही आनलाईन पंजीयन की व्यवस्था मुसीबत का सबब बन गई है। क्योंकि साफ्टवेयर की गलती की सजा किसान भुगतने मजबूर हैं। गाडरवारा मंडी से करीब सौ डेढ़ सौ किमी दूर गोटेगांव एवं अन्य तहसील क्षेत्र के किसानों के पंजीयन अन्य सोसायटी में हो गए हैं। बानगी के लिए मंडी में खरीदी कर रही नरवारा सोसायटी में गोटेगांव तहसील के झांसीघाट, गोटेगांव खेड़ा, खमरिया, नौनी, जमुनिया, कंजई, मुरदई, दबकिया, गर्रा, रहली, बरहटा आदि किसानों की सूची जारी की गई है। गत दिवस चार मई को नरवारा सोसायटी की जारी सूची में उक्त ग्रामों के किसानों के नाम थे। ऐसा क्यों और कैसे हुआ यह कोई बताने को तैयार नहीं है। बताया जाता है कि जब शुक्रवार को सूची में दर्ज मोबाईल नंबरों पर खरीदी कर रहे कर्मियों ने फोन किया तो कई किसानों ने कहा कि भैया हमारी उपज के जितने दाम मिलेंगे। उतने तो गाडरवारा मंडी लेकर आने में खर्च हो जाएंगे, ऐसे छोटे किसान माल बेचने नहीं आए।
नहीं मिल रहे मैसेज
नरवारा सोसायटी के ही तहत रजिस्टर्ड किसानों को मैसेज भी नहीं मिल रहे। ऐसे अनेक किसान भटक रहे हैं। वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो सामान्यत: पूछताछ करने चले गए तो पता चला कि आज ही उनकी उपज विक्रय का दिन है। इस सोसायटी से संबद्ध कृषक रविंद्र खजांची ने बताया कि उनकी पत्नी एवं भाभी के नाम कल सूची में थे। लेकिन मैसेज नहीं मिला था, नगर के अन्य किसानों के साथ ही ऐसा हुआ। शनिवार को केंद्र पर पूछताछ करने आए दहलवाड़ा के कृषक अभिषेक सिंह ने बताया कि लगभग एक माह से भटक रहे हैं लेकिन मैसेज नहीं मिला। जबकि किसानों का नाम सूची में आ जाता है। ऐसे में किसान माल बेचने से वंचित रह जाते हैं। किसानों का भुगतान भी लटका हुआ है।
यह हैं मई में खरीदी के हाल
इन्ही अव्यवस्थाओं के चलते नरवारा सोसायटी में समर्थन मूल्य पर खरीदी बदहाल है। केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार मई के महीने में अब तक एक मई को निरंक, दो मई को महज एक, तीन मई को 13 एवं चार मई को लगभग 20 किसानों से उपज क्रय की गई। जबकि इन चार दिनों में तकरीबन 400 किसानों के नाम की लिस्ट जारी हुई। लेकिन केवल 34 किसानों ने माल बेचा।
मंडी में कुल इतनी हुई खरीद
शासकीय समर्थन मूल्य पर मंडी में गाडरवारा सोसायटी, नरवारा एवं लिलवानी सोसायटी की खरीदी दस अप्रेल से जारी है। जिसमें मिली जानकारी के अनुसार अब तक लगभग 12 करोड़ रुपए की, 27 हजार क्विंटल उपज क्रय की गई है। खरीदे माल में से 85 प्रतिशत का परिवहन होना बताया है। साथ ही बताया गया है कि 20 अप्रेल तक उपज बेच चुके किसानों के खातों में भुगतान राशि डाली जा रही है।
नरवारा सोसायटी के पंजीयनों में विसंगति के बारे में पूछे जाने पर मार्केटिंग सोसायटी प्रबंधक राजेंद्र सिंह ने बताया कि किसानों ने भावांतर के तहत भी पंजीयन कराए थे। पांच मंडियों में क्रय होना था, पंजीयन कराए किसानों को एनआईसी द्वारा विभक्त किया गया। मिलते जुलते नामों की वजह से टेक्रिकल फाल्ट के चलते ऐसा हुआ होगा। बहरहाल अब इसमें सुधार करा दिया गया है।

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