देश की आजादी से पहले जबलपुर के सेठ गोविंददास यहां के मालगुजार थे और यह कलमेटा हार उन्हीं का था। बाद में उन्होंने मालगुजारी भवानीप्रसाद महाजन को सौंप दी तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी यह भूमि महाजन परिवार के पास है। महाजन परिवार के अखिलेश महाजन ने बताया कि करीब १०० एकड़ भूमि उनके दादा, परदादा ने दूसरे लोगों को बेच दी थी जिसके बाद अब २५० एकड़ भूमि उनके परिवार के पास बची है।
चना, मसूर और बटरी के व्यापारियों के बीच कलमेटा एक ब्रांड बन चुका है। यहां का गुलाबी चना अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। मसूर की क्वालिटी और अच्छे उत्पादन की वजह से कोलकाता की एक कंपनी ने कलमेटा के आसपास तीन दाल मिलें स्थापित कर दी हंै। यहां का चना, मसूर और बटरी कलमेटा ब्रांड के नाम से जाने जाते हैं।
वर्जन
नरसिंहपुर जिले का कलमेटा हार एशिया की सबसे उपजाऊ भूमि है। यहां का चना, मसूर सर्वश्रेष्ठ माना गया है। शासकीय दस्तावेजों में इस बात की पुष्टि की गई है। भूगोल की पुस्तकों में वर्षों से यह पढ़ाया जा रहा है। पहाड़ से बहकर आने वाली हब्र्स और अन्य जैविक तत्व भी इसे और उर्वरा बनाते हैं।
कैलाश सोनी, राज्यसभा सांसद