छात्रा वर्तमान में राजकीय विद्यालय की कक्षा 12 में अध्ययनरत है जिसके कुछ समय पश्चात बोर्ड परीक्षा भी होनी है। किंतु इसी बीच ऐसी घटना सामने आ जाने से पूरा परिवार परेशान है। अविवाहित छात्रा के प्रसव होने का मामला अस्पताल में चर्चा का विषय बना रहा। लड़की के पिता के अनुसार उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नही है व न ही किसी पर कोई आरोप है। इस कारण किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नही की जा रही है।
पिता से प्राप्त जानकारी अनुसार यह बालिका उनकी सबसे बड़ी संतान है और वह मजदूरी का कार्य करके अपने परिवार का निर्वहन करते हैं। बालिका की माता गृहणी है। तीन महीने पूर्व पिता को कुछ शक हुआ था लेकिन उन्होंने बच्ची को उसकी माता के द्वारा दवाई दिए जाने की बात कहने पर नजरअंदाज कर दिया गया। किन्तु गुरुवार सुबह वह अपनी मजदूरी पर चले गए तो घर से उन्हे बच्ची की तबियत ज्यादा खराब होने की सूचना मिली तो वह उसे ग्राम कानुता के अस्पताल दिखाने लाए तो उन्हें चिकित्सकों ने लाडनूं अथवा सुजानगढ के बड़े अस्पताल में दिखाने की बात कही। परिजन लाडनूं लेकर आए व सोनोग्राफी जांच से जब बच्ची के पेट मे भ्रूण होने की सूचना मिलने पर परिजनों के होश उड़ गए।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुशील बाकोलिया ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि बच्चा लावारिस हालत में पालनाघर मे मिलता है तो अस्पताल द्वारा उसको अन्यथा परिजनों द्वारा नही अपनाने की स्थिति में उनके स्वयं के द्वारा समाज कल्याण विभाग नागौर को सुपुर्द करने की प्रक्रिया की जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस के एक जवान की भी अस्पताल में भी ड्यूटी लगाई गई है।