गौरतलब है कि किसान इन दिनों रबी की बुआई में जुटे हैं और उन्हें पूरा डीएपी नहीं मिल रहा है। जहां डीएपी का बैग मिल रहा है, वहां डीलर साथ में नैनो डीएपी की बोतल दे रहे हैं, जिसके बदले किसानों से 600 रुपए लिए जा रहे हैं। नैनो डीएपी की बाध्यता केवल सहकारी समितियों में ही नहीं है, बल्कि बाजार में भी दुकानदार बिना नैनो के उर्वरक का बैग नहीं दे रहे हैं। डीलर्स का कहना है कि उन्हें जब ऊपर से दिया जा रहा है तो फिर वे किसानों को नहीं देंगे तो क्या करेंगे। आखिर किसानों को नैनो खाद से ही काम चलाना है, क्योंकि डीएपी हो या यूनिया दानेदार उर्वरक धीरे-धीरे सरकार बंद करने वाली है।
देश में डीएपी की मांग और उपलब्धता (सितम्बर 2024) साल – उत्पादन – आयात – जरूरत – उपलब्धता – बिक्री 2020 – 3.40 – 6.13 – 8.09 – 18.01 – 13.49 2021 – 3.68 – 1.97 – 10.39 – 6.95 – 6.06
2022 – 2.94 – 8.55 – 8.26 – 12.23 – 11.00 2023 – 4.00 – 2.95 – 7.18 – 12.08 – 9.89 2024 – 3.77 – 3.79 – 9.35 – 7.01 – 6.32
– आंकड़े लाख मीट्रिक टन में। जानिए, क्यों पैदा हो रहा है डीएपी संकट गत दिनों रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने डीएपी संकट की वजह बताते हुए कहा कि ‘जनवरी से चल रहे लाल सागर संकट के कारण डीएपी का आयात प्रभावित हुआ है, जिसकी वजह से उर्वरक जहाजों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से 6500 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करनी पड़ी। यहां यह बात जानना भी जरूरी है कि भारत में हर साल लगभग 100 लाख टन डीएपी की खपत होती है, जिसका अधिकांश हिस्सा आयात से पूरा किया जाता है। इसलिए आयात प्रभावित होते ही संकट बढऩे की संभावना बढ़ जाती है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक साल 2019-2020 में सरकार ने 48.70 लाख मीट्रिक टन डीएपी का आयात किया था, जो 2023-24 में बढकऱ 55.67 लाख मीट्रिक टन हो गई।
सरकार पर बढ़ रहा सब्सिडी का भार सूत्रों के अनुसार डीएपी की कीमत सितम्बर, 2023 में 589 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से लगभग 7.30 फीसदी बढकऱ सितम्बर, 2024 में 632 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई थी। इसके बावजूद प्रदेश में डीएपी की कीमत 1350 रुपए प्रति 50 किलोग्राम बैग बरकरार है, जबकि वास्तव में एक बैग की कीमत 3 हजार के आसपास आती है, यानी सरकार पर सब्सिडी का भार लगातार बढ़ रहा है। इसको देखते हुए सरकार का प्रयास है कि दानेदार डीएपी का आयात करने की बजाए किसानों को लिक्विड नैनो डीएपी व नैनो यूरिया का उपयोग करने के लिए तैया किया जाए। इसीलिए डीएपी बैग के साथ नैनो डीएपी की बोतलें दी जा रही हैं, ताकि किसान इसका उपयोग करना शुरू कर दे।
नैनो डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि देश नैनो डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यदि किसान इसे खरीद लें तो खाद का संकट खत्म हो जाए। किसानों का कहना है कि उन्हें जबरन नैनो डीएपी खाद दी जा रही है, जो कि उनके मतलब की नहीं है। नैनो डीएपी का छिडक़ाव उनके लिए महंता साबित होता है। अधिकतर किसानों को अभी तक इसका उपयोग करना ही नहीं आता है। वहीं कृषि विभाग के सहायक निदेशक शंकरराम सियाक का कहना है कि नैनो डीएपी और यूरिया मानक के अनुसार उपयोग करने से किसान कम खर्च में अच्छी उपज ले सकते हैं। संयुक्त निदेशक हरीश मेहरा का कहना है कि नैनो डीएपी किसानों के लिए फायदेमंद है। दानेदार खाद की अपेक्षा किसान नैनो खाद से करीब 50 प्रतिशत उर्वरक की बचत कर सकते हैं। इससे किसानों की उत्पादन लागत कम होगी।
किसानों से कर रहे हैं समझाइश इफको की ओर से दानेदार डीएपी के प्रति दो बैग के साथ एक बोतल नैनो डीएपी की दी गई है। बैग बिक गए, लेकिन नैनो डीएपी की बोतलें काफी मात्रा में पड़ी हैं, किसानों से खरीदने के लिए समझाइश भी कर रहे हैं। सरकार का भी प्रयास है कि किसान अधिक से अधिक नैनो डीएपी का उपयोग करे।
– कमल कुमार, मुख्य कार्यकारी, क्रय-विक्रय सहकारी समिति, नागौर