सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध मारवाड़ क्षेत्र में आजकल एक नई कहानी लिख रहा है। देश- विदेश में बसी यहां की बेटियां, अपने गांवों में एकत्रित होकर बचपन की सहलियों के साथ मिलकर पुरानी यादें ताजा करने के लिए स्नेह मिलन व भागवत कथा जैसे बड़े आयोजन स्वयं के खर्चे से कर रही हैं।
ये समारोह सामाजिक मिलन के माध्यम बनने के साथ उन रिश्तों को भी मजबूत कर रहे हैं जो समय और दूरी के बावजूद कायम रहे हैं। इन आयोजन में महिलाएं हंसती-खिलखिलाती हैं और एक-दूसरे से अपने जीवन की कहानियां साझा कर रही हैं। इतना ही नहीं वे नई पीढ़ी की बेटियों और गौवंश के लिए भी मदद कर रही हैं। यह आयोजन दर्शाते हैं कि आज भी उनका दिल अपने गांव और सहेलियों से जुड़ा है।
सामाजिक बदलाव गांवों में यह आयोजन व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित नहीं बल्की एक सामाजिक बदलाव का भी संकेत है। बेटियां शिक्षा और रोजगार के लिए जब गांव छोड़कर जाती हैं, तो परिवार और समुदाय में उनकी भूमिका बदल जाती है। ऐसे आयोजन अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर हैं ।
सभी को एक साथ मिलने का अवसर कई शादीशुदा बहनें राजस्थान समेत देश के अलग अलग प्रदेशों में बसी है। उन्हें अपने बचपन की सहेलियों और गांव की बहनों से एक साथ मिलने का मौक नहीं मिलता। ऐसे में स्नेह मिलन से सभी को एकत्रित होने का मौका मिल रहा है।
वर्षों तक नहीं आ पाती बेटियां-बहनें कई बहनें तो विदेश जा बसीें जो परिवार से मिलने भी वर्षों तक नहीं आ पाती। पश्चिमी राजस्थान से चली यह परंपरा अब धीरे-धीरे पूरे देश में शुरू होंगी। यह परंपरा भाइयों को भी खूब भा रही है।
सोशल मीडिया बना मददगार… वाट्सऐप ग्रुप के आइडिया ने बनाई नई परंपरा बहनों ने सोशल मीडिया के माध्यम से वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर यह निर्णय किया। इसी से सबको सूचना और एकत्र करना संभव हो सका। यहां तक की आयोजन के लिए राशि एकत्र और भुगतान करना भी ऑनलाइन ने आसान कर दिया।
पाली : बहनों ने किया सखी सम्मेलन पाली जिले की रानी तहसील के जवाली गांव में राजपुरोहित समाज की बहन बेटियों ने मिलकर सखी सम्मेलन किया। इसमें बहन- बेटियों का सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं खेल महोत्सव हुआ। मंच से लेकर समस्त कार्यक्रम का संचालन बहनों ने ही किया।
गांव की 400 बेटियां हुई शामिल जोधपुर : बालेसर कस्बे के चावण्डा गांव में बचपन की सहेलियों से मिलने आई गांव की 400 बेटियों ने मिलकर आयोजन किया। महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, पुणे, तमिलनाडु, सहित देश के कई राज्यों से जोधपुर जिले के इस गांव से ब्याही सैकड़ों बेटियां अपने भाइयों से मिलने गांव लौटीं।
40 साल बाद मिलीं नागौर : भटनोखा गांव में हुए सखी सम्मेलन में कई सहेलियां तो शादी के बाद पहली बार मिली। कुछ 40 साल बाद फिर से मिली। इनके चेहरे देखने से ही लगा कि वे आपस मिलकर कितनी खुश हैं। इधर, जायल के पास गुजरियावास की फौजी बसंती ने कहा कि यह एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
गौशाला के लिए 60 लाख का दान नागौर में बहनों ने मिलकर आयोजन किया। सारा खर्चा स्वयं ने ही वहन किया। शेष 7 लाख रुपए बच गए जो गौशाला में दान कर गई। तब इसमें भाइयों ने अपनी ओर से राशि मिलाकर इसे 60 लाख कर दिया।
शिक्षा के लिए दे रही राशि, 3 लाख दिए भटनोखा गांव में जब विवाहित बहनों ने आयोजन किया तो उन्होंने 3 लाख रुपए अपनी आगे की पीढ़ी की बेटियों की पढ़ाई के लिए दिए। अब यह कई जगहों पर परंपरा सी बन गई।
सखी मिलन कार्यक्रम सचमुच अद्भुत उत्सव है। समाज की सखियों ने कई वर्षों बाद एक दूसरे से मिलकर सुख दु:ख की बातें साझा की। बचपन की यादें ताजा करने का ऐसा मौका सभी बेटियों को मिलना चाहिए। दिन में भागवत कथा का श्रवण लाभ लेते, वहीं रात में बचपन के खेलों का लुत्फ उठाया। धर्म के साथ गौसेवा का भी अवसर मिला।
ललिता राजपुरोहित, श्रीगंगानगर मेरे जीवन के सबसे अविस्मरणीय पलों में इस कार्यक्रम की स्मृतियां रहेगी। करीब 50 वर्ष पहले ससुराल गुजरात जाने के बाद पहली बार सभी सखियों से मिलने का अवसर मिला। ऐसे आयोजन होने से सामाजिक जुड़ाव कायम रहता है, भावी पीढ़ी में संस्कारों का संचार होता है।
गीता राजपुरोहित, रामगढ़ी (गुजरात)