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नागौर

जाट समाज के भाई ने मेघवाल समाज की धर्म बहन के भरा लाखों का मायरा

मेड़ता सिटी (नागौर). जाति-पाति से ऊंचे होते हैं निभाए जाने वाले रिश्ते। अगर रिश्ते दिल से निभाए जाए तो फिर जाति केवल मात्र एक नाम बनकर रह जाती है। मेड़ता शहर से 5 किमी दूर सारंगबासनी गांव में सामाजिक सौहार्द की एक ऐसी ही सुंदर तस्वीर नजर आई। जहां जाट समाज के भाई ने मेघवाल समाज की अपनी धर्म की बहन के तीन पुत्रियों की शादी में लाखों का मायरा भरा। सामाजिक सौहार्द की इस नजीर ने पूरे मेड़ता क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल पेश की है।

नागौरDec 03, 2024 / 11:16 pm

Ravindra Mishra

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मेड़ता सिटी. मायरे में शामिल लोग

सामाजिक सौहार्द का संदेश… सारंगबासनी गांव की यह पहली बनी मिसाल

मेड़ता सिटी (नागौर). जाति-पाति से ऊंचे होते हैं निभाए जाने वाले रिश्ते। अगर रिश्ते दिल से निभाए जाए तो फिर जाति केवल मात्र एक नाम बनकर रह जाती है। मेड़ता शहर से 5 किमी दूर सारंगबासनी गांव में सामाजिक सौहार्द की एक ऐसी ही सुंदर तस्वीर नजर आई। जहां जाट समाज के भाई ने मेघवाल समाज की अपनी धर्म की बहन के तीन पुत्रियों की शादी में लाखों का मायरा भरा। सामाजिक सौहार्द की इस नजीर ने पूरे मेड़ता क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल पेश की है।
दरअसल, सारंग बासनी गांव निवासी श्रवणराम मेघवाल की 3 बेटियों की सोमवार को शादी हुई। तीनों बेटियों ने अपने पिता के आंगन से विदाई ली और नए दांपत्य जीवन की शुरूआत की। परिणय सूत्र में बंधने से पहले जो हुआ, उसने पूरे 36 कौम में सामाजिक सौहार्द की एक अनूठी मिसाल कायम की। श्रवणराम की पत्नी के धर्म के भाई गांव निवासी राजूराम लालरिया ने भात के समय लाखों रुपए नकदी, सोने के जेवर, कपड़े सहित उपहार देकर मायरा भरा। मायरा ठीक उसी तरह भरा गया, जैसे एक सगा भाई अपनी बहन के बेटे-बेटी की शादी में भरता है। मायरे में किसी तरह की कमी नहीं रखी गई। लालरिया परिवार की ओर से भरे गए इस मायरे की ना केवल गांव और क्षेत्र बल्कि पूरे मेड़ता उपखंड में सराहना की जा रही है।
सवां लाख नकदी, ढाई तोला सोना… मेड़ता विधायक भी हुए शामिल

लालरिया परिवार ने मेघवाल समाज के धर्म की बहन संतोष देवी की बेटियों के मायरे में 1 लाख 11 हजार रुपए नकद, ढाई तोला सोने के जेवरात सहित वस्त्र और उपहार रखे। सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाले इस मायरे में मेड़ता विधायक लक्ष्मणराम मेघवाल भी शामिल हुए। उन्होंने लालरिया परिवार की ओर से की गई इस पहल को सराहा और इसे सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाला कदम बताया।
तीन अलग-अलग जगहों से आई बारात

सारंग बासनी के श्रवणराम की तीन बेटियों के एक साथ विदाई हुई। श्रवणराम ने अपनी पुत्री धनु, कंचन और सुनिता का एक साथ में विवाह करवाया। सबसे बड़ी बेटी धनु की बारात बग्गड़ गांव से आई। वहीं दूसरे नंबर की बेटी कंचन की बारात टालनपुर गांव से आई। इसी तरह सबसे छोटी बेटी सुनिता की बारात खेडूली से आई।
15 साल पुराना है धर्म का रिश्ता

दरअसल, सारंग बासनी निवासी रामपाल लालरिया ने गांव की संतोष देवी को करीब 15 साल पहले अपने धर्म की बेटी बनाया था। उस धर्म के रिश्ते को आज भी बरकरार रखते हुए रामपाल के पुत्र मेड़ता मंडी व्यापारी राजुराम लालरिया ने धर्म की बहन संतोष देवी के बेटियों की शादी में मायरा भरा। इस दौरान भाई राजुराम ने कहा कि यह पहल इसलिए की गई ताकि भाईचारा बना रहे। जब हम सब साथ बैठते हैं तो जाति-पाति का भेद हटाया जाए और सभी समाज में आपसी सौहार्द का संदेश दिया जाए।
“सदियों पुरानी व बेहद मजबूत है सामाजिक भाईचारे की जड़ें’

“राजनीतिक क्षेत्र के स्वार्थी तत्व समाज को बांटने की कितनी भी कोशिश कर लें, राजस्थानी समाज बंटेगा नहीं। सामाजिक भाईचारे की जड़ें सदियों पुरानी और बहुत मजबूत हैं। राजस्थान के हर गांव में एक जाति वर्ग के लोग दूसरे वर्ग के साथ प्रेम और सम्मान से रहते हैं। जरूरत इस बात की है कि ऐसी हर पहल का प्रचार-प्रसार हो। सामाजिक समरसता इस देश की प्राणवायु है।’
– डॉ. अशोक चौधरी, अभिनव राजस्थान।

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