scriptनाबालिग मोहब्बत का अंजाम घर से दरबदर या फिर खून से तरबतर | The result of minor love is courtier than home or blood-stained | Patrika News
नागौर

नाबालिग मोहब्बत का अंजाम घर से दरबदर या फिर खून से तरबतर

-झूठे प्रेम के जाल में फंस रही है बालिकाएं, मरने-मारने तक पहुंच रही है बात- पांच साल में 13 बालिकाओं का अब तक नहीं चला पता
-पोक्सो एक्ट के मामले भी बढ़े तो लड़कियों के घर से भागने के भीग्राउण्ड रिपोर्ट
संदीप पाण्डेयनागौर. घर से दरबदर या फिर खून से तरबतर, कुछ ऐसा ही नजर आता है नागौर जिले में प्रेम कहानी का हश्र। गुढ़ा भगवान दास का वाकया कोई नया नहीं है। पिछले कुछ समय से मोहब्बत के नाम पर जान लेने-देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

नागौरJul 05, 2021 / 12:09 am

Ravindra Mishra

nagaur

murde


-झूठे प्रेम के जाल में फंस रही है बालिकाएं, मरने-मारने तक पहुंच रही है बात
– पांच साल में 13 बालिकाओं का अब तक नहीं चला पता

-पोक्सो एक्ट के मामले भी बढ़े तो लड़कियों के घर से भागने के भी
ग्राउण्ड रिपोर्ट
संदीप पाण्डेय
नागौर. घर से दरबदर या फिर खून से तरबतर, कुछ ऐसा ही नजर आता है नागौर जिले में प्रेम कहानी का हश्र। गुढ़ा भगवान दास का वाकया कोई नया नहीं है। पिछले कुछ समय से मोहब्बत के नाम पर जान लेने-देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। मोहब्बत सच्ची होने का तो पता नहीं पर अनेक घरों की खुशियां बिखर कर रह गईं। कई घर से बाहर कर दिए गए तो कई घर न जाने की जिद पर बालिका सदन में ही ठहर गई। बाबुल का घर छोडऩे में नाबालिग बालिकाओं की संख्या यकायक काफी बढ़ी तो उनके अपहरण-शोषण के मामले भी खूब दर्ज हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले तीन साल में बालिकाओं की गुमशुदगी के मामले काफी सामने आए। कई बालिकाओं को महीनों बाद भी पुलिस दस्याब नहीं कर पाई। नाबालिग बालिकाओं की संख्या गुमशुदा बालकों से ज्यादा है। पिछले साल 93 बालिकाएं लापता हुईं जिनमें से 86 मिलीं, सात अब तक लापता हैं। पांच साल में 13 बालिकाओं का अब तक पता नहीं चला। वर्ष 2021 के शुरुआती छह महीनों में करीब तीन दर्जन बालिकाएं घर से निकल गईं। इनमें भी कई अभी तक दस्तयाब नहीं हो पाईं। कुछ दिन पूर्व महिला थाने में दर्ज मामले में नाबालिग प्रेमी जोड़ा ही लापता हो गया था, जिसे बाद में नोखा से दस्तयाब किया गया।
…कहीं हत्या तो कहीं आत्महत्या
नाबालिग पर प्रेम का भूत सवार हो जाता है। ऐसे में शातिर इश्कबाज किसी भी हालत में उसे पाने के लिए मरने-मारने पर भी उतारू हो जाते हैं। ऐसे कई मामलों में मोहब्बत को खून से रंग दिया। कुचामन इलाके में कुछ समय पहले लिचाणा के पास एक ढाणी में पिस्टल लेकर गए युवक ने पहले फायरिंग की फिर खुद को गोली मार ली। बताया जाता है कि यहां रहने वाली पंद्रह साल की नाबालिग से उसका प्रेम प्रसंग चल रहा था। वो उसे ही भगाकर ले जाना चाहता था। ऐसा ही एक मामला दधवाड़ा में हुआ। युवक कथित प्रेमिका को अपने साथ पुणे ले जाना चाहता था। उसके इनकार करने पर दोनों ने साथ आत्महत्या करने की कोशिश की, युवक की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि उसकी प्रेमिका बाल-बाल बच गई। इसी तरह एक मामला रोल थाना इलाके का है, इसमें सगाई होने के बाद भी युवक ने हत्या कर दी। ऐसे ही कई मामलों में नासमझी के साथ जिद ने खुशियां उजाड़ दी।
प्रेम विवाह के नाम पर झांसा
सूत्र बताते हैं कि हाल ही परबतसर में ऐसा ही मामला सामने आया। बालिका किसी युवक के झांसे में आकर उसके साथ दिल्ली चली गई। कुछ दिन उसने साथ रखा, शादी का झांसा देकर शोषण करता रहा। बाद में पुलिस ने दस्तयाब किया तो बालिका ने युवक के खिलाफ अपहरण और बलात्कार का मामला दर्ज कराया। ऐसे ही एक मामले में बालिका को कई महीनों तक इधर-उधर घुमाकर शोषण करने वाला युवक फरार है। सूत्र बताते हैं कि अधिकांश नाबालिग झूठे प्रेमजाल में फंसकर घर से भाग रही हैं। न तो कानूनन इनका विवाह हो पाता है न ही शातिर युवक उन्हें पूरी तरह अपनाते हैं। ऐसे में वे ठगकर घर लौट आती हैं। कुछ दिन पहले ही कथित प्रेम विवाह करने वाली नाबालिग निकली मकराना की युवती ने अपने माता-पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया है। मकराना इलाके की रहने वाली नाबालिग के प्रेम विवाह और उसके बाद हुए हंगामे ने अजमेर कलक्ट्रेट तक को हिला दिया था। 23 जून को वह बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश हुई तब भी माता-पिता के घर जाने से इनकार कर दिया था। उसके बाद भी माता-पिता उसे लेने आए, तब भी उसका यही जवाब था। उसने कहा कि उसने प्रेम विवाह किया है। उसे नाबालिग बताना गलत है। इसी तरह के अनेक नाबालिग घर से दरबदर हो रही हैं।
हाईकोर्ट का आदेश, पुलिस दस्तयाबी में फेल
सूत्रों के अनुसार एक बालिका करीब सवा साल पहले घर से गायब हो गई। उसके किसी प्रेमी के साथ बाहर रहने की सूचना मिली। परिजनों ने बालिका को नाबालिग बताते हुए हाईकोर्ट जोधपुर में याचिका दायर की। इस पर हाईकोर्ट ने बाल कल्याण समिति को आदेश दिए कि उसकी आयु का पुन: निर्धारण कर बताए। आठ महीने हो गए, समिति ने एडीजी, कलक्टर, एसपी समेत अन्य जिम्मेदारों को पत्र लिखे पर पुलिस अब तक उसकी दस्तयाबी नहीं कर पाई है।
हकीकत पर एक नजर
सूत्र बताते हैं कि अधिकांश मामलों में प्रेम विवाह के नाम पर मासूम बालिकाओं का शोषण किया जाता है। शादी करने और साथ रहकर जिंदगी बिताने की सब बातें बेमानी है। मोबाइल के बढ़ते चलन के साथ मोहब्बत की झूठी कहानी गढ़ी जा रही है। थानों में दर्ज पोक्सो मामलों पर नजर डालें तो ऐसा ही सबकुछ सामने आया। बालिका को प्रेमजाल में फंसाकर उसका शोषण करने वालों पर ये मामले दर्ज हैं। कुछ बालिकाओं के घर से निकलने के बाद नहीं मिलना कमोबेश यह साबित करता है कि पुलिस की पकड़ ढीली है।
इनका कहना है
आरोपी की पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ उसके बचपन में मिली प्रताडऩा/शोषण के साथ कई और कारण है जो अपराध के लिए बाध्य करते हैं। कुछ फिल्म से प्रभावित होकर तो कुछ नाकामयाबी के डर से खुद अथवा साथी को मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं।
-डॉ अखिलेश जैन, मनोचिकित्सक जयपुर
जरा सी नासमझी बालिकाओं के जीवन को गलत दिशा दे रही है। उनमें अच्छा-बुरा सोचने की क्षमता पैदा की जाए, परिवार की भी जिम्मेदारी है कि उनके असामान्य व्यवहार पर ध्यान दें। गलत कदम उठाने पर बालिकाएं घर से दरबदर हो जाती हैं, साथ ही समाज में भी पुर्नस्थापित होने में काफी परेशान होती हैं।
-मनोज सोनी, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति

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