गौरतलब है कि भाजपा विधायक अतुल भंसाली ने राजस्थान विधानसभा में सवाल लगाकर इस संबंध में जानकारी मांगी, जिस पर सरकार ने जवाब देते हुए बताया कि कार्मिक विभाग के स्तर पर 18 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति पेंडिंग है तथा लंबित प्रकरणों में नियमानुसार अपेक्षित प्रक्रिया/परीक्षण उपरांत गुणावगुण पर निर्णय लिया जाएगा।
जीरो टॉलरेंस के दावे खोखले प्रदेश में जो भी पार्टी सत्ता में आती है, वो जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने के साथ पारदर्शी और सुशासन देने के दावे करती है। लेकिन दोनों पार्टियों ये दावे हमेशा खोखले ही साबित होते हैं। धरातल पर इन दावों की हकीकत कुछ और ही होती है। इसका सबूत सरकार की ओर से सरकार के ही विधायक की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में मिला है। सरकार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने के मामले लम्बित रखती है, जिसके कारण कई अधिकारी तो सेवानिवृत्त हो गए।
इन अधिकारियों के खिलाफ लम्बित है अभियोजन स्वीकृति – निर्मला मीणा, तत्कालीन आरएएस एवं जिला रसद अधिकारी, जोधपुर (वर्तमान आईएएस) के खिलाफ 10 जुलाई 2018 से कार्मिक विभाग में लम्बित। – विश्राम मीणा, तत्कालीन आरएएस एवं अति. जिला मजिस्ट्रेट, सवाई माधोपुर (वर्तमान आईएएस) के खिलाफ 19 जुलाई 2023 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
– पुष्कर मित्तल, तत्कालीन उपखंड अधिकारी, दौसा एवं पिंकी मीणा, तत्कालीन उपखंड अधिकारी बांदीकुई के खिलाफ 17 मार्च 2021 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। – दाताराम, तत्कालीन उपखंड अधिकारी भरतपुर एवं लक्ष्मीकांत बालोत, तत्कालीन आयुक्त नगर परिषद भरतपुर के खिलाफ 12 फरवरी 2021 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
– ममता यादव तत्कालीन उपायुक्त जयपुर विकास प्राधिकरण के खिलाफ 4 अप्रेल 2022 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। – निशू अग्निहोत्री, तत्कालीन अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, अजमेर के खिलाफ 6 अक्टूबर 2022 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
– महेश गगोरिया, तत्कालीन उपखंड अधिकारी माण्डलगढ़, भीलवाड़ा के खिलाफ 3 जून 2024 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। – सुगनचंद पंवार, तत्कालीन डीएसपी विशेष महिला अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ अलवर के खिलाफ 8 मार्च 2022 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
– दिव्या मित्तल, तत्कालीन एएसपी एसओजी अजमेर खिलाफ 27 मार्च 2023 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। दिव्या मित्तल के खिलाफ 12 जून 2023 को एक ओर अभियोजन स्वीकृति मांगी गई, वो भी लम्बित है।
– जितेन्द्र कुमार जैन, तत्कालीन उपाधीक्षक, वृत्त नगर पश्चिमी उदयपुर के खिलाफ 10 मई 2023 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। ये हो चुके सेवानिवृत्त – नन्नूमल पहाडिय़ा, तत्कालीन जिला कलक्टर, अलवर के खिलाफ 28 जून 2022 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
– भैरूलाल वर्मा, तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जालौर के खिलाफ 9 मार्च 2023 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। – मोहनलाल गुप्ता, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी, उदयपुर के खिलाफ 2 अगस्त 2023 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
– रामजीलाल वर्मा, तत्कालीन उपखंड अधिकारी कोटपूतली के खिलाफ 10 जुलाई 2024 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। – आश मोहम्मद, तत्कालीन एसीपी, झोटवाड़ा के खिलाफ 22 अक्टूबर 2019 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
– सत्यपाल मिढ्ढ़ा, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसओजी जयपुर के खिलाफ 16 नवम्बर 2021 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित। – विरेन्द्र कुमार, तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक, जैतारण के खिलाफ 24 जनवरी 2022 से कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति लम्बित।
सरकार की मंशा पर सवालिया निशान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में पिछले पांच-छह साल में ही करीब 200 अधिकारी और कर्मचारी या तो रिश्वत लेते हुए पकड़े गए या उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज हुआ है। एसीबी ने ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी, लेकिन न तो भाजपा सरकार ने दी और न ही कांग्रेस सरकार ने। विधानसभा में सरकार ने जानकारी दी कि अप्रेल 2019 से मई 2024 तक 182 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एसीबी ने कार्रवाई की, लेकिन उनके खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति विभाग या सरकार की ओर से नहीं दी गई।
सरकार केवल दिखावा नहीं करे यदि किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित हो जाते हैं तो फिर उनके खिलाफ सरकार को अभियोजन स्वीकृति तत्काल देनी चाहिए, ताकि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके। सरकार केवल जीरा टॉलरेंस की बातें ही नहीं करें, बल्कि उसको व्यवहार में भी लाएं, ताकि जनता में अच्छा संदेश जाए और भ्रष्टाचारियों में खौफ पैदा हो।
– सवाईसिंह चौधरी, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी