जिले में विभिन्न चरणों में लगाए गए 450 से आरओ प्लांट में से सैकड़ों ऐसे हैं, जो लम्बे समय से बंद पड़े हैं और अधिकारी एयर कंडिशनर कमरों में बैठकर धरातल की वस्तुस्थिति जाने बिना ही ठेकेदारों को रखरखाव का भुगतान कर रहे हैं। राजस्थान पत्रिका द्वारा पिछले तीन दिन में प्रकाशित खबरों के बाद एक दर्जन से अधिक लोगों ने गांवों में बंद आरओ प्लांट के फोटो भेजकर लोगों की परेशानी से अवगत कराया है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या वाकई अधिकारी खराब या बंद पड़े आरओ प्लांट की वस्तुस्थिति से अनजान हैं या फिर जानबूझकर लापरवाह बने हुए हैं।
जिले में नहरी परियोजना का काम भी तेजी से चल रहा है, जिसके चलते जिले के कई गांवों में पानी पहुंच चुका है, जहां आरओ प्लांट की आवश्यकता नहीं है। खुद जलदाय विभाग के अधिकारी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि जिले में अब तक सैकड़ों आरओ प्लांट की जगह नहरी पानी पहुंच चुका है, जहां अब आरओ का पानी कोई नहीं पी रहा है, इसलिए विभाग को प्लांट के संधारण का खर्चा बंद कर प्लांट दूसरी जगह पर शिफ्ट करना चाहिए।
डेह में करीब तीन साल पहले लगाया गया आरओ प्लांट कस्बे से इतना दूर है कि कोई भी ग्रामीण वहां पानी लेने नहीं जाता। अधिकारियों ने साइट का सलेक्शन ही गलत किया, जिसके कारण जनता के लाखों रुपए बर्बाद हो गए। आरओ गांव में लगाते तो लोगों को मीठा पानी मिलता। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वसूली की जानी चाहिए, ताकि दूसरे अधिकारी ऐसी गलती करने से पहले सोचें।
– जगवीर छाबा, भाजपा नेता, डेह