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नागौर

नशे की तस्करी पर पुलिस का कंट्रोल, बड़े सौदागरों की नहीं खुल पा रही पोल

कहीं चावल तो कहीं चारे की आड़ में डोडा-पोस्त की तस्करी खूब हुई। ट्रक के ट्रक पकड़े भी गए। पिछले आठ महीने में ही पांच ट्रक में भरा करोड़ों का अवैध मादक पदार्थ पकड़ा गया।

नागौरAug 31, 2024 / 09:39 pm

Sandeep Pandey

माल बरामद पर इक्का-दुक्का गिरफ्तारी के बाद जांच का नहीं निकल रहा कोई नतीजा

आखिर जांच पर क्यों नहीं उठते सवाल

नागौर. कहीं चावल तो कहीं चारे की आड़ में डोडा-पोस्त की तस्करी खूब हुई। ट्रक के ट्रक पकड़े भी गए। पिछले आठ महीने में ही पांच ट्रक में भरा करोड़ों का अवैध मादक पदार्थ पकड़ा गया। बावजूद इसके ट्रक जब्त हुए पर तस्करी की कड़ी से कड़ी नहीं जुड़ पाई।
अवैध मादक पदार्थ के अधिकांश मामलों में कथित तस्कर के रूप में चालक/खलासी ही धरे जाते हैं। जांच चलती तो है पर माल कहां से आया और कहां जा रहा था। इस खेल का सरगना कौन है, इसका खुलासा नहीं हो पाता। सूत्र बताते हैं कि पिछले तीन साल में नागौर पुलिस ने अवैध मादक पदार्थ के खिलाफ तगड़ा शिकंजा कसा है। हर तीसरे दिन अवैध मादक पदार्थ बरामद कर पुलिस एक-दो को गिरफ्तार कर रही है। एनडीपीएस एक्ट के तहत इस कार्रवाई में हकीकत में छोटे-मोटे कूरियर ही ज्यादातर दबोचे जा रहे हैं। इनको रिमाण्ड पर लेकर पूछताछ भी होती है पर नशे की तस्करी के मुखिया/ बड़े सप्लायर का सुराग पुलिस को मिल नहीं पाता या यूं कहें कि वहां तक पहुंचती ही नहीं है। ऐसे दस फीसदी मामले भी नहीं हैं जिनमें माल के साथ गिरफ्तार आरोपियों के अलावा किसी तक पुलिस पहुंच पाई हो। झारखण्ड, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों से नशा आ रहा है।
तीन साल में साढ़े तीन सौ से अधिक मामले पकड़े
करीब दस महीने से अवैध मादक पदार्थ के खिलाफ नागौर पुलिस का तगड़ा अभियान चल रहा है। बुधवार को पादूकलां थाना पुलिस ने करीब पौने आठ करोड़ का अवैध मादक पदार्थ पकड़ा तो गुरुवार को थावला थाना पुलिस ने साठ लाख रुपए की तीन सौ ग्राम एमडीएमए जब्त कर दो जनों को गिरफ्तार किया । हकीकत में पिछले तीन साल में अवैध मादक पदार्थ की तस्करी के साढ़े तीन सौ से अधिक मामले पकड़ में आए। यही नहीं दो हजार से अधिक तस्कर/कुरियर भी पुलिस के हत्थे चढ़े पर तस्करी के मुख्य केन्द्र/ सप्लायर अथवा खरीदारों तक तमाम कोशिश भी नाकाम रही।
उपलब्धि तो खूब पर…
मादक पदार्थ के खिलाफ पुलिस के आंकड़े उसकी उपलब्धि तो बता रहे हैं पर नशे के सप्लायर/ बड़े तस्करों की पकड़ नहीं हो पाने के चलते इस काले कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यह भी सामने आया कि पिछले सात-आठ साल से पुलिस की कार्रवाई दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। वर्ष 2017 में पूरे साल केवल 31 मामले दर्ज हुए, यही हाल वर्ष 2018 का था, मामले 31 रहे। वर्ष 2019 में 32 तो वर्ष 2020 में 36 कार्रवाई यानी मामले दर्ज हुए। यानी इन चार साल में 130 मामलों में औसतन हर माह तीन मामले भी नहीं पकड़े गए, जबकि यह वो दौर था जब मादक पदार्थ को लेकर पूरे देशभर में अभियान चल रहे थे। इसके बाद वर्ष 2021 में 56 मामलों पर कार्रवाई हुई और 114 जने गिरफ्तार हुए। वहीं वर्ष 2022 में करीब सवा सौ मामले दर्ज हुए, जहां भारी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ बरामद किया गया। वर्ष 2023 में भी इनकी संख्या लगभग 120 रही।
जांच, पूछताछ, प्रोडक्शन वारंट पर…
सूत्रों के अनुसार करीब दो महीने पहले डीएसटी ने गोगेलाव के पास खाली कैरेट की आड़ में डोडा-पोस्त से भरा ट्रक बरामद किया। करोड़ों की तस्करी की जांच चल तो रही है पर उस समय पकड़े गए चालक/खलासी के अलावा कोई हाथ नहीं लगा। ऐसा ही श्रीबालाजी थाना पुलिस और विधानसभा चुनाव से पहले कोतवाली थाना पुलिस ने करोड़ों के डोडा-पोस्त से भरा ट्रक जब्त किया था। वही ड्राइवर/खलासी के अलावा तस्करी के मुखिया अथवा अन्य गुर्गों का आज तक पता नहीं चला है। यही हाल शराब से भरे ट्रक का रहा, सदर थाना पुलिस ने पिछले साल पकड़ा था, ड्राइवर के बाद मामले की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। यह तो उदाहरण मात्र है। अधिकांश मामलों में माल बरामद कर गिरफ्तारी हुई और फिर मामला लगभग बंद। जांच आगे बढ़ती ही नहीं, जांच अधिकारी दूसरे को बना दिया जाता है पर नशे का कारोबार करने वालों तक पहुंचने वाली जांच ही नहीं होती।
एक तिहाई तो बरसों से लिप्त
इस साल पकड़े में आए शातिरों में से एक तिहाई तो दस-बारह साल से नशे के कारोबार में लिप्त हैं, बाकी नए लोगों को ये कूरियर की तरह इस्तेमाल करते हैं। कोई माल को मिठाई तो कोई दवाई बोलकर मंजिल/व्यक्ति को घर संबोधित करता है। कूरियर की तरह काम करने वालों को सामान पहुंचाने का मेहनताना दस-पंद्रह हजार तक देते हैं। जरुरत पडऩे पर गाड़ी भी उपलब्ध कराते हैं। इनको बदलते रहते हैं, इस महीने काम देने वाले को अगली ट्रिप के लिए गैप देते हैं। कई शातिर ऐसे भी पकड़ में आए जो कई बार जेल की हवा भी खा चुके हैं, इसके बाद भी उन्होंने यह धंधा नहीं छोड़ा।
तस्करों की नई जुगत भी फेल
पुलिस की सख्ती के कारण ट्रक के भारी माल अथवा सीधे-सादे सामान्य व्यक्ति की तरह बाइक अथवा फ ोर-व्हीलर पर पुलिस को धता बताने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। कई मामले तो ऐसे पकड़ में आए कि नमक अथवा चारा/चावल की आड़ में मादक पदार्थ सप्लाई होता मिला। इस साल औसतन हर तीसरे दिन यह काला कारोबार पकड़ा जा रहा है।
इनका कहना
नशे के तस्करों पर कड़ा शिकंजा कस रखा है। हर दूसर-तीसरे दिन बड़ी कार्रवाई कर गिरफ्तारी कर रहे हैं। कई बड़े मामलों में जांच चल रही है। नशा कहां से लाए थे, किनको सप्लाई करना था, इस पर भी काम हो रहा है।
नारायण टोगस, एसपी नागौर

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