सूत्र बताते हैं कि असल में विभिन्न थानों में चोरी की ही बरामद बाइक की संख्या करीब पांच सौ से अधिक है। बावजूद इसके कोई इनको लेने नहीं आ रहा। ऐसे मामलों में बाइक का मालिक कुछ समय बाद इंश्योरेंस कम्पनी से बाइक की कीमत उठा लेता है। तो आखिर वो इसे लेने आएगा भी क्यों? और तो और पुलिस भी ऐसे वाहनों के लिए ना तो वाहन मालिकों को लिख रही है ना ही इंश्योरेंस कम्पनियों को। ऐसी केवल बाइक ही नहीं कार/जीप समेत कुछ अन्य गाडिय़ां भी हैं जो पड़े-पड़े कबाड़ बनती जा रही हैं।
नहीं पता लगा थाने से जब्त माल की चोरी का
सूत्रों का कहना है कि करीब छह माह पूर्व पांचौड़ी थाने के भीतर खड़े कंटेनर के ताले तोड़कर चोर दो कट्टों में भरा 27 किलो डोडा-पोस्त ले गए। चोर दो नए ताले चाबी के साथ लाए थे, ताकि वारदात के बाद वो इन्हें कंटनेर में लगा जाएं और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगे। करीब पौने पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक किंवटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हुआ था, जिसका अब तक पता नहीं चल पाया है। कोतवाली थाने में करीब पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक क्विंटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हो गया। डोडा-पोस्त से भरे चोरी के चार बोरों का अब तक खुलासा नहीं हो सका है। इस मामले में तीन कांस्टेबल निलम्बित किए गए थे।
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मुश्किलें कई और भी
सूत्र बताते हैं कि बरामद मादक पदार्थ व गाड़ी भले ही पुलिस की कस्टडी में हो, लेकिन इस मामले का निस्तारण संबंधित विभाग ही करता है। यही हाल शराब सहित अन्य वस्तुओं का है। पूर्व एसपी राममूर्ति जोशी ने कबाड़ बनते वाहनों को नीलाम करने की कवायद भी शुरू की थी। असल में जब्त/बरामद माल के मामले निस्तारण अथवा चोरी के माल को संबंधित तक पहुंचने के नियम और कड़े होने चाहिएं। वैसे पुलिस भी वाहनों के लिहाज से एक बड़ी जगह की तलाश कर रही है। सूत्रों के अनुसार लोक अदालत ने पिछले साल एक फैसले में कहा था कि अगस्त-2022 से पहले के ट्रेफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी वाहन-लाइसेंस बिना जुर्माने के देने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश को हुए एक साल होने को आया, लेकिन दस फीसदी लोग भी अपना वाहन उठाने नहीं आए। नागौर के ट्रेफिक थाने में वाहनों का अंबार यह बताने के लिए काफी है बिना चोरी के केवल जुर्माने से दण्डित हैं, उन सभी को राहत मिल चुकी है, इसके बाद भी वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। ट्रेफिक सीओ रविंद्र बोथरा के निर्देश पर हैड कांस्टेबल शिवदेवाराम सहित टीम ने इसके लिए मशक्कत भी की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
इनका कहना
कानूनी निस्तारण के बाद ही इस तरह का माल थानों से हल्का हो सकता है। कुछ थानों में ही यह दिक्कत ज्यादा है, बाकी तो सब ठीक है।
नारायण टोगस, एसपी नागौर