तीन मार्च 2022 को मुआवजे की मांग को लेकर शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान बंद हो गया था। करीब तीन माह आंदोलन समाप्त होने पर पांच जून को खदान पर फिर से खनन कार्य शुरू हुआ। लेकिन कोयले के भावों में आई तेजी के कारण कोयला खनन करने वाली आरएसएमएमएल ने नीलाम किए गए कोयले के भावों में बढोत्तरी कर दी। इससे कोयला खरीदने वाली कम्पनियां कोर्ट में पहुंच गई और स्टे लेकरकोयला लोडिंग का काम बंद करवा दिया। पांच जून से कोर्ट स्टे के कारण मातासुख लिग्नाइट कोयला खदान बंद थी। दो वर्ष बाद आरएसएमएमएल ने 2004 में खुदाई के बाद खारा पानी ज्यादा आने के कारण बंद कसनाऊ खदान में खनन कार्य शुरू किया। करीब दस महीने किए गए खनन कार्य के बाद कसनाऊ लिग्नाइट कोयला खदान से कोयले का पहला बैंच निकाल कर बुधवार को ट्रकों में लोडिंग किया गया।
एक लाख टन कोयले की नीलामी कसनाऊ लिग्नाइट कोयला खदान से पहले दिन एक ही ट्रक लोड किया गया। इस खदान के पहली खेप एक लाख टन कोयले की नीलामी की गई है। जल्द ही कोयला लोडिंग कार्य के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
सुनसान सड़कों पर चहल पहल कोयला लोडिंग कार्य शुरू होने के साथ ही फरड़ोद चौराहे से मातासुख जाने वाली सड़क पर फिर से चहल पहल शुरू हो जाएगी। दो वर्ष से सुनी पड़ी इस सड़क पर ट्रकों की लाइनें लगनी शुरू होगी। कोयला लोडिंग शुरू होने से स्थानीय लोगों में खुशी है। दो वर्ष आठ महीने बाद फिर से काम शुरू हुआ है।
खुले रोजगार के द्वार खदान बंद होने रहने से सैकड़ों लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे थे। कोयला लोडिंग करने वाले, ट्रकों के त्रिपाल तैयार करने वाला, ट्रांसपोर्ट मालिक, मजदूर व होटलों का काम बंद पड़ा था। अब फिर से इन्हें रोजगार मिलना शुरू होगा।
इनका कहना कोयला लोडिंग करने का काम बुधवार से शुरू हो गया है। कसनाऊ लिग्नाइट पीठ में प्रचुर मात्रा में कोयला उपलब्ध है। एसके बेरवाल, मांइस मैनैजर, आरएसएमएमएल।