सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले जोधपुर रोड पर होटल के बाहर हवाई फायरिंग का मामला हो या कुचामन के लिचाणा और दधवाड़ा में युवकों के गोली मारकर आत्महत्या की बात। कुछ महीने पहले गोटन थाना इलाके में लेडी डान के गुर्गे पकड़े गए, हथियार बरामद हुए तो डीडवाना, मकराना समेत अन्य कस्बों में भी अवैध हथियार का कारोबार फल-फूल रहा है। लाडनूं में तीन-चार महीने पहले हथियार बनाने का कारखाना तक पकड़ा गया। पिछले पांच साल में पुलिस की पकड़ धीमी रही, जबकि लूटपाट-हत्या में यही अवैध हथियार शातिरों के काम आए। अवैध हथियारों की घुसपैठ को पुलिस रोक नहीं पा रही।
सूत्र बताते हैं कि बीकानेर में पकड़े एक बदमाश के साथ नागौर के दो हिस्ट्रीशीटर भी अवैध हथियार खरीदने के आरोप में पकड़े गए थे। और तो और बाहरी राज्यों से भी पिस्टल लेने वाले कुछ पुलिस के हत्थे आए। बावजूद इसके मुख्य सप्लायर तक पहुंच पाने में पुलिस विफल ही रही। देसी-विदेसी पिस्टल रखने का शौक बढ़ता जा रहा है। फेसबुक-सोशल साइट पर भी कुछ इसी तरह के हथियार लहराते हुए दिखे और हल्ला होते ही पोस्ट डिलीट करने के मामले सामने आए।
यहां से होती है सप्लाई
सूत्रों का कहना है कि अब तब अवैध हथियारों के साथ गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में हरियाणा, पंजाब, यूपी और मध्यप्रदेश से इनकी सप्लाई होने की बात सामने आई। पुलिस ने टीमें इधर-उधर भेजी भी, पर खाली हाथ ही लौटी। कुछ स्थानीय बदमाश भी अवैध हथियार सप्लाई में सक्रिय हैं। ये कमीशन पर हथियार बेचते हैं। पिछले दिनों होटल मालिक के पुत्र ने अवैध पिस्टल से फायरिंग कर कर्मचारी को मार दिया। यह पिस्टल पंजाब से कोई दस हजार रुपए में बेच गया था।
हथियार लाइसेंस के नियम कड़े होते हैं। यह भी सामने आया कि इसके नियम की पालना में कुछ लापरवाही बरतते हैं। लाइसेंस देने से पहले जांच की लंबी प्रक्रिया होती है। अवैध हथियार मिलने पर कानूनी कार्रवाई के लिए अनुमति देते हैं। बिना लाइसेंस के खाली कारतूस रखना भी अपराध है।
डॉ जितेंद्र सोनी, कलक्टर नागौर