नागरिक विमानन निदेशालय ने नहीं दिया जवाब
जिला प्रशासन ने नागरिक विमानन निदेशालय को पत्र लिखकर परियोजना की प्रशासनिक स्वीकृति पत्र सहित छह बिन्दुओं की सूचना मांगी थी, लेकिन निदेशालय ने अब तक उपलब्ध नहीं करवाई। इसके कारण हवाई पट्टी विस्तार की फाइल ठंडे बस्ते में है। दरअसल, राज्य सरकार ने 3 नवम्बर 2017 को आदेश जारी कर निदेशक नागरिक विमानन निदेशालय जयपुर को भूमि अधिग्रहण सहित हवाई पट्टी विस्तार के लिए अधिकृत किया था। गौरतलब है कि करीब आठ वर्ष पहले अक्टूबर, 2015 में नागौर दौरे पर आई तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नागौर हवाई पट्टी के विस्तार की घोषणा की तथा अधिकारियों को निर्देश देकर जमीन अधिग्रहण सहित अन्य काम करने को कहा था। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद जब तक भाजपा की सरकार थी, तब तक नागरिक उड्डयन विभाग के साथ सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने भी चुस्ती के साथ काम किया। यहां तक कि जमीन अधिग्रहण के लिए 361.44 लाख रुपए का बजट भी स्वीकृत किया गया था, जो पिछले छह साल से भूमि अवाप्ति अधिकारी के खाते में जमा है, लेकिन जैसे ही प्रदेश में सरकार बदली, नागरिक विमानन निदेशालय जयपुर के अधिकारी उदासीन हो गए। हवाई पट्टी विस्तार की फाइल को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया।
7.55 करोड़ से हुआ लाइटिंग का काम, आधी खराब हो चुकी
नागरिक उड्डयन विभाग ने करीब साढ़े चार वर्ष पूर्व हवाई पट्टी पर लाइटिंग का काम पूरा करवाया था। विभाग ने इसके लिए 7.55 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था, जिससे लाइट्स के साथ लाइट कंट्रोल रूम बनाया गया। वर्तमान में उचित देखभाल के अभाव में करीब डेढ़ दर्जन लाइट्स खराब हो चुकी हैं।
नागौर में हवाई पट्टी विस्तार के ये हैं मजबूत कारण
– नागौर जिला मुख्यालय सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। जोधपुर, बीकानेर व श्रीगंगानगर पाकिस्तान बॉर्डर पर होने से सामरिक दृष्टि से नागौर में बीएसएफ की दो कम्पनियां स्थापित हैं।
– नागौर जिले में खनिज संपदा बहुतायत में है। कोयला, लाइम स्टोन का नागौर के आसपास अथाह भण्डार है।
– व्यापार की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। नागौर से 20 किलोमीटर दूर मूण्डवा में अम्बुजा का बड़ा सीमेंट प्लांट है। 60 किमी की दूरी पर गोटन में जे.के व्हाइट सीमेंट, बिरला व्हाइट सीमेंट के बड़े प्लान्ट हैं। नागौर से 100 किमी की दूरी पर मकराना में मार्बल का बहुत बड़ा उद्योग है। जिले में नमक का भी बड़ा उद्योग है, कई बड़े प्लान्ट लगे हुए हैं। नागौर में मसाला उद्योग की कच्ची सामग्री की बहुत बड़ी मंडी है।
– नागौर जिले के प्रवासी देश में ही नहीं विदेश में भी बहुतायत में हैं। व्यापार के लिए आसाम, बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, गुजराज, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखण्ड, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों में व्यापार का काम करते हैं व परिवार सहित निवास करते हैं।
विस्तार के लिए 130.04 बीघा जमीन का होना था अधिग्रहण
नागौर हवाई पट्टी के विस्तार परियोजना के तहत नागौर व बासनी के 45 रकबा की 130.04 बीघा जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें नागौर के कुल खसरे 9 में से 29.05 बीघा, ग्राम गंदीला बासनी के कुल 6 खसरे रकबा 13.11 बीघा व ग्राम कुडिय़ा बासनी में कुल 30 खसरे की 87.08 बीघा जमीन मिलाकर कुल 45 खसरों की 130.04 बीघा जमीन अवाप्ति के लिए प्रस्तावित की गई। इसका ऑनलाइन रेकर्ड एवं तरमीम कार्य किया जा चुका है। इसके साथ प्रस्तावित अवाप्ति के लिए खसरा नम्बर, रकबा एवं खातेदार सही है एवं कोई खसरा शेष तो नहीं रह गया है, इसकी अपडेट करने के लिए एसडीएम ने 4 जनवरी 2021 को पीडब्ल्यूडी के नागौर एक्सईएन व तहसीलदार को पत्र लिखकर संयुक्त रिपोर्ट पेश करने के लिए निर्देशित किया था, जो आज भी प्रक्रियाधीन है।
निदेशालय से नहीं आया जवाब
नागरिक विमानन निदेशालय को पत्र लिखकर परियोजना की प्रशासनिक स्वीकृति पत्र सहित छह बिन्दुओं की सूचना मांगी थी, लेकिन निदेशालय से अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
– डॉ. अमित यादव, जिला कलक्टर, नागौर