scriptVIDEO…श्वेताम्बर जैन मत के महान संत जयमल महाराज का नागौर से गहरा नाता था | Jaimal Maharaj, the great saint of Shvetambara Jainism, had a deep connection with Nagaur. | Patrika News
नागौर

VIDEO…श्वेताम्बर जैन मत के महान संत जयमल महाराज का नागौर से गहरा नाता था

Nagaur. नागौर में रहकर ही शांति जिन की इन्होंने की थी रचना- नागौर में इन्हीं के नाम पर निर्माण कराया गया था जयमल श्रावक संघ पौधशाला का-जैनाचार्य जयमल महाराज के स्मृति दिवस पर विशेष

नागौरMay 04, 2023 / 04:12 pm

Sharad Shukla

photo_2023-05-04_16-08-51.jpg

नागौर. श्वेतांबर जैन मत के महान संत जयमल जैन महाराज का स्मृति दिवस गुरुवार को है। इस मौके पर जयमल जाप के साथ विविध कार्यक्रमों के आयोजन किए जाएंगे। जैन मत के महान संत जयमल महाराज का नागौर की धरती से गहरा नाता रहा है। लांबिया गांव में जन्मे जयमल महाराज की शिक्षा ही नहीं, बल्कि संथारे के साथ नृसिंह चतुर्दशी को देवलोक गमन भी नागौर में ही हुआ था। इन्होंने शांति जिन स्तुति की रचना भी नागौर में की थी। इनके नाम पर सिंघवियों की पोल के पास जयमल जैन पौषधशाला भी है। यहां पर श्वेतांबर समाज समाज के कार्यक्रमों के होने के साथ ही यह जैन मत के संतों की चातुर्मास स्थली के रूप में भी अब प्रतिस्थापित हो चुका है।
शांति जिन स्तुति का सृजन स्थल रहा नागौर
श्वेताम्बर समाज के मूर्धन्य विद्वानों के अनुसार करीब 250 वर्ष पूर्व जयमल महाराज ने नागौर में ही उन्होंने शांति जिन स्तुति की रचना की थी। स्तुति का पठन-पाठन श्वेताम्बर समाज के श्रद्धालु प्रतिदिन करते है। आचार्य जयमल महाराज को एक भवावतारी, अखंड बाल ब्रह्मचारी, आशु कवि, युगप्रधान, चारित्र चुड़ामणि सरीखी उपाधियों से विभूषित किया गया।
आचार्य जयमल जैन मार्ग इन्हीं के नाम पर
इनकी स्मृति बनाए रखने के लिए शहर के माही दरवाजा के आगे से तोलावतों की पोल तक स्थित आचार्य जयमल जैन मार्ग इन्हीं के नाम पर रखा गया है। सिंघवियों की पोल के पास जयमल जैन पौषधशाला भवन भी आचार्य के नाम पर ही है। बताते हैं कि इस भवन का निर्माण आजादी के पहले हुआ था। वर्ष 2011 में आचार्य जयमल महाराज के नाम पर डाक टिकट भी जारी हो चुका है। इन्होंने 700 भव्यात्माओं को दीक्षा प्रदान की। बताते हैं कि आचार्य सम्राट जयमल महाराज अनुयायी देश के विभिन्न राज्यों में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हंै। यह अनुयायी आज भी इनकी पाट परंपरा का पालन करते हंै।
यह भी सुनने के लिए आते रहे
जयगच्छीय जैन संत पदमचंद्र महाराज की संपादित पुस्तक जय ध्वज के अनुसार आचार्य जयमल महाराज ने नागौर, जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर आदि के राजा-महाराजाओं सहित दिल्ली के बादशाह मोहम्मद शाह तथा उनके शहजादे को प्रतिबोध देकर सुमार्गी बनाया। नागौर, पीपाड़, जालोर, सिरोही, फलौदी, बीकानेर, जैसलमेर, सांचौर, खींचन आदि सहित कई क्षेत्रों में धार्मिक चर्चा कर जैन संतों के लिए सुगम मार्ग बनाया। बताते हैं कि नागौर के महाराज बख्तसिंह, जोधपुर के महाराज अभयसिंह, बीकानेर के महाराज गजसिंह, सिरोही के महाराज मानसिंह, होल्कर (इंदौर) की अहल्यादेवी, जयपुर के महाराज माधवसिंह प्रथम, जैसलमेर के महाराजा अखेसिंह आदि इनके प्रवचन सुनने के लिए आते थे।
18 चातुर्मास नागौर में हुआ था
संघ मंत्री हरकचंद ललवानी ने बताया कि विक्रम संवत 1765 को लांबिया गांव में जन्मे आचार्य जयमल महाराज की दीक्षा विक्रम संवत 1788 को जिले के मेड़ता सिटी में ही हुई। 31 दिन के संथारे के साथ विक्रम संवत 1853 नृसिंह चतुर्दशी को नागौर में देवलोकगमन हुआ। आचार्य के जीवन काल का अंतिम 13 वर्ष का स्थिरवास नागौर की धरा पर हुआ था। विक्रम संवत 1794 से 1853 के बीच 18 चातुर्मास भी महाराज के नागौर में ही हुए।
स्मृति दिवस पर कार्यक्रम
आचार्य जयमल महाराज की स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में गुरुवार को जयमल जाप, जीव दया के साथ विविध कार्यक्रम होंगे। इस दौरान धार्मिक प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा।
श्रद्धा से सिर झुक जाता है
जयमल जैन महाराज श्वेताम्बर जैन समाज के महान परंपरा के संत रहे हैं। इनके मार्गों पर चलना तपस्या करना है। इनका स्मरण होते ही श्रद्धा से शीश खुद-ब-खुद झुक जाता है।
नरपतचंद ललवानी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयमल जैन श्रावक संघ
श्रद्धा के सागर हैं महाराज
जैनाचार्य जयमल महाराज श्रद्धा के सागर हैं। कई बार परेशानियों में इनका जाप करता हूं तो फिर काफी मानसिक रूप से शांति प्राप्त होती है।
हरकचंद ललवानी, मंत्री जयमल श्रावक संघ
व्याख्या नहीं हो सकती
जयमल महाराज के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दीपक दिखाने की तरह है। इनके कृतित्व-व्यक्तित्व पर व्याख्या करना सहज नहीं है। मेरी तो पूरी आस्था ही इनके साथ जुड़ी हुई है।
संजय पींचा, प्रवक्ता, जयमल श्रावक संघ

https://www.dailymotion.com/embed/video/x8kmrph

Hindi News / Nagaur / VIDEO…श्वेताम्बर जैन मत के महान संत जयमल महाराज का नागौर से गहरा नाता था

ट्रेंडिंग वीडियो