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नागौर

बढ़ती बीमारियां फिर भी घरेलू नुस्खों पर यकीन, सर्वाइकल कैंसर रोकने वाली वैक्सीन से अनजान

बीमारी कोई भी हो, ग्रामीण महिलाएं अब भी घरेलू नुस्खों के साथ नीम-हकीम व स्याणा-भोपे के पास जा रही हैं। महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर बढ़ रहा है, वहीं कई मामलों में अधिक उम्र में शादी से नि:संतानता का भी शिकार हो रही हैं।

नागौरJan 16, 2025 / 09:17 pm

Sandeep Pandey

बढ़ती जागरूकता के बीच आज भी घरेलू नुस्खों पर पहले यकीन करती हैं ग्रामीण महिलाएं

नीम-हकीम ही नहीं स्याणा-भौपा पर भी बीमारी भगाने को लेकर विश्वास

ग्राउण्ड रिपोर्ट

नागौर. बीमारी कोई भी हो, ग्रामीण महिलाएं अब भी घरेलू नुस्खों के साथ नीम-हकीम व स्याणा-भोपे के पास जा रही हैं। महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर बढ़ रहा है, वहीं कई मामलों में अधिक उम्र में शादी से नि:संतानता का भी शिकार हो रही हैं। महिलाएं पहले से जागरूक तो हुई हैं पर अब भी ग्रामीण इलाकों से सीधे अस्पताल तक कम ही पहुंच पा रही हैं।

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सूत्रों के अनुसार शिक्षा के साथ आई जागरूकता के बाद भी गांव की महिलाएं सीधे अस्पताल आकर चिकित्सक को अपनी बात बताने से हिचक रही हैं। यहां तक कि उनकी पहली प्राथमिकता महिला चिकित्सक है। वे घर में भी अपनी बीमारी साझा करने से बचती हैं, इस संबंध में सास-ननद अथवा पीहर में इस पहले बताना पसंद करती हैं। कई विवाहिताएं ये सब अपने पारिवारिक दबाव के कारण भी करने पर विवश हैं। यही नहीं पुराने लोगों के घरेलू उपचार लेने के लिए वे झट से तैयार हो जाती हैं।इस बात को चिकित्सक ही नहीं महिलाएं तक स्वीकारती हैं। यह भी सामने आया कि शुरुआत में कुछ बीमारियां इसी के कारण बढ़ती है। यह कई बार सर्वाइकल कैंसर तक का रूप ले लेती हैं।
यह बीमारी महिलाओं में मौत का आम कारण है। एक अध्ययन के मुताबिक 18 से 50 वर्ष तक की आयु में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर माना जाता है। जनवरी में ही सर्वाइकल कैंसर मंथ अवेयरनेस का जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसके अलावा इन दिनों महिलाओं में निसंतानता, अनियमित महावारी व ल्यूकेरिया की बीमारी सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है।
वैक्सीन से रोका जा सकता है सर्वाइकल कैंसर…

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ शैलेन्द्र लोमरोड ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के गर्भाशय में होता है। अमूमन चालीस से साठ साल तक की उम्र में इसकी आशंका अधिक रहती है। यह यौन संचारित वायरस एचपीवी के संक्रमण से होता है। इन दिनों यह बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए दो तरह की वैक्सीन है, हालांकि अभी ये रूटीन टीके में शामिल नहीं है। ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों, फिलहाल वैक्सीन की दो-दो हजार की तीन डोज से सुरक्षित रहा जा सकता है। यह 12 से सोलह साल की उम्र में लगाया जाता है। यह पहले भी होता था, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण से देरी पर पता चलता था।
जांच में भी देरी, वैक्सीन से अज्ञान..

बताया जाता है कि असल में समय पर जांच नहीं होती। इसका एक कारण विभाग की ओर से जांच केन्द्र/शिविर नहीं लगाना है। लोगों को भी जागरूक नहीं किया जा रहा। हर साल जनवरी का महीना सर्वाइकल कैंसर मंथ कैम्पन के रूप में मनाया जाता है पर इसे लेकर कहीं भी कोई कार्यक्रम/जागरूकता शिविर दिखाई नहीं देते। जांच को लेकर दस फीसदी मरीज ही समय पर पहुंच पाते हैं। और तो और सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए वैक्सीनेशन की भी अधिकांश को जानकारी नहीं है।
बढ़ रही हैं मुश्किलें…

एमसीएच विंग की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका व्यास ने बताया कि महिलाएं जागरूक हो रही हैं हालांकि छोटी गांठ को लेकर भी कई बार तनाव/अवसाद में आ जाती हैं। सर्वाइकल कैंसर के अलावा इन दिनों अनियमित महामारी, ल्यूकेरिया से पीडि़त रोगियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। बढ़ती उम्र में शादी के कारण नि:संतानता का मुख्य कारण सामने आ रहा है। बदलती लाइफ स्टाइल के साथ खान-पान और बढ़ता तनाव भी इसकी वजह है। स्क्रीनिंग/जांच समय पर करवाकर उपचार लेना चाहिए। यह सही है कि गांव में घरेलू नुस्खे/ वैसे ही दवा लेकर खाने से कई मामले देरी से चिकित्सकों तक पहुंचते हैं जो मरीज के लिए घातक साबित होते हैं।

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