scriptबीमा कम्पनी की मनमानी, नियमों को ताक पर रखकर किसानों से कर रही छल | Insurance company is cheating the farmers keeping the rules in mind | Patrika News
नागौर

बीमा कम्पनी की मनमानी, नियमों को ताक पर रखकर किसानों से कर रही छल

बीमा की समय सीमा केवल किसानों के लिए, खुद कभी नहीं करती नियमों की पालना- समय पर पॉलिसियों का वेरिफिकेशन नहीं करके अंतिम समय में कर देते हैं रिजेक्ट- फसल खराबा होने पर किसानों को नहीं मिलता है क्लेम

नागौरMay 04, 2023 / 06:44 pm

shyam choudhary

गत दिनों नागौर आए सचिन पायलट को भारतीय किसान यूनियन ने बीमा कम्पनी के ​खिलाफ ज्ञापन सौंपा था

गत दिनों नागौर आए सचिन पायलट को भारतीय किसान यूनियन ने बीमा कम्पनी के ​खिलाफ ज्ञापन सौंपा था

नागौर. फसल बीमा करने वाली कम्पनियां किसानों की अज्ञानता का पूरा फायदा उठा रही हैं। राजस्थान सरकार के कृषि विभाग की ओर से हर साल फसल बीमा की अधिसूचना जारी की जाती है, जिसमें किसानों के साथ वित्तीय संस्थानों एवं बीमा कम्पनी के लिए नियक-कायदे तय किए जाते हैं, लेकिन लागू केवल किसानों पर ही होते हैं, बीमा कम्पनी न तो नियमों की पालना करती है और न ही सरकार की ओर से कम्पनी पर कोई लगाम है।
एक प्रकार से बीमा कम्पनियां पूरी तरह बेलगाम हो चुकी हैं और हर सीजन में किसानों एवं केन्द्र व राज्य सरकार से करोड़ों रुपए का प्रीमियम वसूल कर अपना खजाना भर रही है। कम्पनियों की मनमानी का का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू (वर्ष 2016 से) हुई है, तब से अब तक केवल दो बार प्रीमियम से थोड़ा ज्यादा क्लेम दिया है, शेष 11 सीजन में क्लेम से कहीं अधिक प्रीमियम वसूला है, जबकि पिछले कुछ वर्षों से खरीफ व रबी दोनों में कभी बेमौसम बारिश तो कभी सूखा या पाला पडऩे से फसल खराबा हो रहा है, लेकिन बीमा कम्पनी अपनियां फर्जी दस्तावेज तैयार कर किसानों को क्लेम से वंचित कर रही हैं। खास बात यह भी है कि खरीफ 2022 के दौरान बीका कम्पनी के सर्वेयर की ओर से खाली सर्वे फॉर्म पर किसानों के हस्ताक्षर लेते हुए कुछ जागरूक कियानों ने पकड़ा भी था, इसके बावजूद सुधार नहीं हो रहा है।
समय तय, लेकिन पालना नहीं करते
फसल बीमा की अधिसूचना के अनुसार प्रीमियम जमा कराने से लेकर बीमा कम्पनी की ओर से पॉलिसी का अनुमोदन करने तथा उसके बाद किसानों को अनुमोदित पॉलिसियों का वितरण करने का समय तय है। किसान यदि निर्धारित समय सीमा के बाद प्रीमियम जमा करवाना चाहे तो नहीं करवा सकता और न ही वित्तीय संस्थानों को कम्पनी के खाते में प्रीमियम राशि जमा कराने में छूट है, लेकिन बीमा कम्पनी पॉलिसी का अनुमोदन करने में दो से तीन महीने देरी भी कर देती है। अधिसूचना के अनुसार रबी की पॉलिसी अनुमोदन की अंतिम तिथि 31 जनवरी तय थी, लेकिन कम्पनी ने नहीं की। सूत्रों से तो यह भी जानकारी मिली है कि 10 हैक्टेयर से अधिक वाले बीमा धारक किसानों की पॉलिसी अब तक अनुमोदित नहीं की है, उल्टा विभागीय अधिकारियों से एक पत्र जारी करवा लिया, जिसमें जांच करके अनुमोदित करने का हवाला दिया गया है।
अनुमोदन नहीं करने के पीछे क्या है खेल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीमा कम्पनी प्रीमियम लेने के बाद पॉलिसी अनुमोदन में जानबूझकर देरी करती है, यदि किसान की फसल खराब हो जाती है तो उसकी पॉलिसी को कोई न कोई कमी निकालकर रिजेक्ट कर दिया जाता है और यदि फसल खराबा नहीं होता है तो उसे अनुमोदित कर दिया जाता है, ताकि प्रीमियम की राशि डकार सके। गौरतलब है कि खरीफ 2022 में भी इस प्रकार का इश्यू सामने आया था।
पॉलिसी का वितरण तो करते ही नहीं
अधिसूचना के अनुसार बीमा कम्पनी को अनुमोदन के बाद पॉलिसी का वितरण कृषक को करना होता है, लेकिन कम्पनी 10 फीसदी किसानों को भी पॉलिसी का वितरण नहीं करती। यदि किसान मांगने भी जाते हैं तो उन्हें टरका दिया जाता है। गौरतलब है कि किसी व्यक्ति की ओर से खुद का या वाहन का बीमा कराने पर पॉलिसी डाक से उसके घर भेजी जाती है, लेकिन फसल बीमा योजना में कम्पनियों की मनमानी इतनी है कि किसानों को मांगने पर भी पॉलिसी नहीं दी जाती, ताकि वे कम्पनी के खिलाफ न्यायालय में नहीं जा सके।
अधिकारियों के पास भी जवाब नहीं
फसल बीमा योजना की अधिसूचना भले ही कृषि विभाग की ओर से जारी की जाती है, लेकिन बीमा कम्पनी के अधिकारी जिला स्तर पर कृषि विभाग के अधिकारियों को पूरी जानकारी ही नहीं देते हैं। नागौर के संयुक्त निदेशक शंकरराम बेड़ा ने बताया कि फसल बीमा से संबंधित जानकारी या तो कम्पनी के प्रतिनिधि दे सकते हैं या फिर जयपुर में बैठे विभाग के अधिकारी। जयपुर में सरकार की ओर से बैठाए गए संयुक्त निदेशक (बीमा) मुकेश माथुर फोन ही नहीं उठाते। ऐसे में किसान जानकारी लेना चाहे तो किससे ले, यह यक्ष प्रश्न है।
स्टेट हैड ने कहा – मैं अधिकृत नहीं
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी के स्टेट हैड इमरान से पत्रिका ने बात की तो उन्होंने कहा कि पॉलिसियों का अनुमोदन निर्धारित समय पर कर दिया। जब उनसे पूछा कि निर्धारित समय क्या है तो बोले – मीडिया को ज्यादा जानकारी देने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं। इधर, जिला मुख्यालय पर भी फसल बीमा से संबंधित जानकारी देने वाला कोई नहीं है। जबकि नियमानुसार जिला स्तर पर कम्पनी का कार्यालय होना चाहिए।

Hindi News / Nagaur / बीमा कम्पनी की मनमानी, नियमों को ताक पर रखकर किसानों से कर रही छल

ट्रेंडिंग वीडियो