Nagaur. रामनामी महंत मुरलीराम महाराज ने समझाई सगुण-निर्गुण की महत्ता
नागौर•Aug 01, 2021 / 09:42 pm•
Sharad Shukla
A tableau decorated on the Ramayana incident during the discourse at Rampol Satsang Bhawan
नागौर. रामपोल सत्संग भवन में चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में रामनामी महंत मुरलीराम महाराज ने कहा कि गोस्वामी महाराज ने निर्गुण और सगुण की वंदना करते हुए कहा कि हमारी दृष्टि में निर्गुण और सगुण अलग अलग है, लेकिन वस्तुत: देखा जाए तो दोनों एक ही है। उन्होंने उद्धरण देते हुए समझाया कि जिस प्रकार प्लेट में हम पानी भरकर फ्रिज में रखते हैं तो पानी का कोई रंग नहीं होता। कोई आकार नहीं होता ह,ै लेकिन थोड़ी देर बाद यदि उस प्लेट को निकालते हैं तो उसमें बर्फ के टुकड़े जमे हुए मिलते हैं। इसी तरह निराकार ब्रह्म संतो के लिए तथा भक्तों के लिए निर्गुण से सगुण रूप में धरती पर अवतरित होते है। इसलिए हमें निर्गुण और सगुण में भेदभाव की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। भगवान कोई भी लीला करने के लिए भक्तों भक्तों को दर्शन देते हैं। गोस्वामी महाराज तो रामचरितमानस में कहते हैं, यदि आपको निर्गुण तक पहुंचना है तो सगुण का सहारा लेना ही पड़ेगा। सगुण और निर्गुण में एक रमने वाला, और एक रमाने वाला ही कार्य विद्यमान है। े व्यक्ति भृमित होकऱ निर्गुण और सगुण को अलग-अलग मान लेता है। इसलिए गोस्वामी महाराज अपना मत कहते हुए रामचरितमानस में लिखते हैं कि सगुण को अपनी आंखों में रखें, तथा निर्गुण को अपने हृदय में रखो। तभी समझ पाएंगे की नाम की महिमा क्या है। कथावाचक संत रमता राम महाराज ने रामचरितमानस में हनुमान और सीता अशोक वाटिका प्रसंग का विशेष वर्णन किया। कथा वर्णन के दौरान हनुमान एवं मां सीता की सजी जीवंत झांकी आस्था का केन्द्र बनी नजर आई। झांकी में माता सीता के समक्ष पहुंचकर हनुमान के प्रणाम करने के दृश्य जीवंत रूप में देखकर श्रद्धालू आस्था के रंग में रंगे नजर आए। इस दौरान साध्वी मोहनी बाईसा, बाल संत रामगोपाल महाराज, नंदकिशोर बजाज, नंदलाल प्रजापत, रामेश्वर तोषनीवाल, कांतिलाल कंसारा, राजाराम तोषनीवाल, मनोज शर्मा व रामअवतार शर्मा आदि मौजूद थे।
नागौर. रामपोल सत्संग भवन में प्रवचन के दौरान माता सीता व हनुमान की सजीव झांकी की
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