जी हां, कलक्ट्रेट के कर्मचारी स्वरूपसिंह भाटी ने पत्रिका को बताया कि उसकी मां धूद कंवर के लिवर में खराबी होने पर जेएलएन अस्पताल के डॉ. अशोक झाड़वाल ने सीटी स्केन कराने के लिए कहा, जिस पर स्वरूपसिंह ने अपनी मां की जेएलएन अस्पताल में ही 23 जुलाई को सीटी स्केन करवाई। रिपोर्ट आने पर वह डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने कहा कि रिपोर्ट अलग है और फिल्म अलग है, इसलिए सही रिपोर्ट मंगवाए। डॉक्टर ने मरीज की पर्ची पर लिखकर भी दिया कि रिपोर्ट वापस मंगवाए। इसके बाद स्वरूपसिंह जब वापस सीटी स्केन करने वाले कर्मचारी के पास पहुंचा तो उसने 2 बजे आने का कहा, 2 बजे गया तो फिर 4 बजे तक देने के लिए कहा, फिर 6 बजे तक और फिर 8 बजे तक करके शनिवार का पूरा दिन निकाल दिया। उसके बाद रविवार सुबह वापस रिपोर्ट लेने गया तो कहा कि अभी नहीं आई है, बाहर से आएगी, तब देंगे। पीडि़त ने बताया कि कर्मचारी द्वारा बार-बार चक्कर कटवाने पर उसने पीएमओ को कहा, फिर भी कोई परिणाम नहीं निकला तो उसने जिला कलक्टर से मैसेज करवाया, लेकिन कर्मचारी के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया।
आम आदमी के साथ क्या होगा
कलक्ट्रेट के कर्मचारी स्वरूपसिंह का कहना है कि जब उनके साथ जेएलएन अस्पताल के कर्मचारी इस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं तो आम आदमी के साथ कैसा बर्ताव करते होंगे, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। पत्रिका द्वारा इस सम्बन्ध में पीएमओ डॉ. शंकरलाल से बात करने पर उन्होंने बताया कि वे जयपुर आए हुए हैं, इसलिए उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। कार्यवाहक पीएमओ डॉ. आनंद पंवार का फोन बंद बता रहा था।
बड़ा सवाल – रिपोर्ट कैसे बदली
जेएलएन अस्पताल में होने वाली सीटी स्केन को लेकर मरीजों के स्वास्थ्य से किस प्रकार खिलवाड़ किया जाता है, इसका ताजा उदाहरण धूद कंवर का है, जिसमें कर्मचारियों ने रिपोर्ट व फिल्म अलग-अलग दे दी। यदि डॉक्टर ने फिल्म और रिपोर्ट को ध्यान से नहीं देखा होता तो मरीज को जो नुकसान होता, उसकी भरपाई करना मुश्किल हो जाता। ऐसे लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अचरज की बात तो यह है कि इतनी बड़ी गलती पकड़ में आने के बावजूद कर्मचारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे।